Plastic Effect on Mental Health: आजकल प्लास्टिक का उपयोग हर वर्ग के लोगों के जीवन में आम हो गया है। प्लास्टिक बोतलें, खासकर पानी भरने के लिए उपयोग होती हैं। जो कि एक आवश्यक वस्तु बन गई हैं। हालांकि, हमें इसके नकरात्मक प्रभावों के बारे में सोचने की जरूरत है, खासकर जब ये प्लास्टिक बोतलें उपयोग करने के बाद हमारे दिमागी स्थिति पर हानिपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
प्लास्टिक बोतलों पॉलिएथिलीन और पॉलिप्रोपिलीन जैसे केमिकल कंपाउंड्स का उपयोग करके होता है। जब ये बोतलें इस्तेमाल होती हैं तो उनमें रिज़र्व रासायनिक अवयव भी हमारे पानी में मिल जाते हैं, जिनके सेवन से हमारे मस्तिष्क को नकारात्मक प्रभाव होता है। प्लास्टिक बोतलों के उपयोग से आमतौर पर फिटोएस्ट्रोजन और बीसीए जैसे हॉर्मोन्स मस्तिष्क के संतुलन पर असर डाल सकते हैं। यह असंतुलन मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करके स्टिमुलेशन,सैडनेस और अधिक स्ट्रेस का कारण बन सकता है।

प्लास्टिक के ज्यादा उपयोग से और प्लास्टिक बोतल का सही डिस्पोजल न होने के कारण, जगह-जगह प्लास्टिक की बोतलें आसपास देखने को मिलती हैं। यह दृश्य मस्तिष्क को डेप्रेस्सेस करता है और तनाव को बढ़ा सकता है। बहुत सारे लोग अपनी प्लास्टिक बोतलों को ठीक से मैनेज नहीं करते हैं और उन्हें हर जगह जगहों पर फेंक देते हैं। यह उचित मैनेजमेंट की कमी के कारण उन्हें अपने आस-पास के वातावरण को नष्ट होते देख सकते हैं, जिससे उनकी मानसिकता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
ज्यादा से ज्यादा प्लास्टिक बोतलों का उपयोग करने से आपका जीवन में दुःख भी आ सकता है। जिससे मस्तिष्क का सही से काम नहीं कर पाता है। यह याददाश्त में कमी, विकेड, और ध्यान में डेविएशन जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।