यूक्रेन और रूस की जंग में कौन जीतेगा ये कह पाना मुश्किल है…लेकिन एक साल से ज्यादा खिंच चुकी इस लड़ाई की वजह से बढ़ता तनाव दुनिया के दूसरे हिस्सों में दिखना अब तय माना जा रहा है।
खुद को दुनिया की अकेली महाशक्ति मानने वाले अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञों को पूरा भरोसा है कि रूस, यूक्रेन में भारी पड़ा तो चीन इसी बहाने ताइवान पर हमला कर सकता है।
अमेरिका ने बार-बार भरोसा दिलाया है कि अगर चीन ने ऐसा कदम उठाया तो उसे सिर्फ ताइवान से नहीं, अमेरिका से जंग लड़नी होगी।
लेकिन, एक सच्चाई ये है कि अगर आज चीन से भिड़ना पड़ जाए तो अमेरिका के पास हथियार और गोला-बारूद ही कम पड़ जाएगा।
ये बात हैरान करने वाली लगती है कि सीरिया से इराक और अफगानिस्तान तक कहीं भी ड्रोन स्ट्राइक करने वाले अमेरिका के पास हथियार कम पड़ जाएं।
मगर, सच यही है। दरअसल, यूक्रेन में चल रहे युद्ध के लिए अमेरिका ने इतनी मिसाइल्स और हथियार दिए हैं कि उसका अपना भंडार खाली हो गया है।
हालात ये हैं कि अमेरिकी सेना में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली स्टिंगर और जैवलिन मिसाइल्स बनाने वाली कंपनी रेथियॉन खुद मान रही है कि आज की स्पीड पर प्रोडक्शन जारी रहे तो स्टिंगर मिसाइल्स का स्टॉक पूरा करने में 13 साल लग जाएंगे।
रूस के साथ लंबा शीतयुद्ध खत्म होने के बाद अमेरिका ने रक्षा खर्च में कटौती के लिए डिफेंस प्रोडक्शन का ढांचा पूरी तरह बदला था। लेकिन इस बदलाव की वजह से आज युद्ध की आशंकाओं के बीच प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कंपनियां ही नहीं हैं।
मिसाइल्स और गोला-बारूद का बजट 2022 के मुकाबले 2023 में 4 बिलियन डॉलर बढ़ाया गया था। 2024 के लिए इस खर्च में फिर 4 बिलियन डॉलर से ज्यादा का इजाफा किया गया है।
जानिए, आखिर कैसे एक महाशक्ति के सामने हथियारों का संकट खड़ा हो गया है…और क्यों अमेरिका के लिए आज चीन से निपटना मुश्किल हो सकता है।
यूक्रेन को 33 बिलियन डॉलर की मदद दे चुका है अमेरिका…इसमें सबसे ज्यादा मिसाइल्स
यूक्रेन और रूस के बीच जंग छिड़ने के बाद अमेरिका ने यूक्रेन को 33 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.72 लाख करोड़ की मदद दे चुका है।
इस मदद में मुख्यत: स्टिंगर और जैवलिन और SM-6 जैसी मिसाइल्स और आर्टिलरी शेल्स शामिल हैं। अमेरिका ये वो हथियार हैं जो किसी भी युद्ध की स्थिति में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं।
भास्कर रिसर्चआज चीन से भिड़े तो हार सकता है अमेरिका:यूक्रेन को इतनी मिसाइल्स दीं कि US का स्टॉक खाली…भरने में 13 साल लगेंगे

यूक्रेन और रूस की जंग में कौन जीतेगा ये कह पाना मुश्किल है…लेकिन एक साल से ज्यादा खिंच चुकी इस लड़ाई की वजह से बढ़ता तनाव दुनिया के दूसरे हिस्सों में दिखना अब तय माना जा रहा है।
खुद को दुनिया की अकेली महाशक्ति मानने वाले अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञों को पूरा भरोसा है कि रूस, यूक्रेन में भारी पड़ा तो चीन इसी बहाने ताइवान पर हमला कर सकता है।
अमेरिका ने बार-बार भरोसा दिलाया है कि अगर चीन ने ऐसा कदम उठाया तो उसे सिर्फ ताइवान से नहीं, अमेरिका से जंग लड़नी होगी।
लेकिन, एक सच्चाई ये है कि अगर आज चीन से भिड़ना पड़ जाए तो अमेरिका के पास हथियार और गोला-बारूद ही कम पड़ जाएगा।
ये बात हैरान करने वाली लगती है कि सीरिया से इराक और अफगानिस्तान तक कहीं भी ड्रोन स्ट्राइक करने वाले अमेरिका के पास हथियार कम पड़ जाएं।
मगर, सच यही है। दरअसल, यूक्रेन में चल रहे युद्ध के लिए अमेरिका ने इतनी मिसाइल्स और हथियार दिए हैं कि उसका अपना भंडार खाली हो गया है।
हालात ये हैं कि अमेरिकी सेना में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली स्टिंगर और जैवलिन मिसाइल्स बनाने वाली कंपनी रेथियॉन खुद मान रही है कि आज की स्पीड पर प्रोडक्शन जारी रहे तो स्टिंगर मिसाइल्स का स्टॉक पूरा करने में 13 साल लग जाएंगे।
रूस के साथ लंबा शीतयुद्ध खत्म होने के बाद अमेरिका ने रक्षा खर्च में कटौती के लिए डिफेंस प्रोडक्शन का ढांचा पूरी तरह बदला था। लेकिन इस बदलाव की वजह से आज युद्ध की आशंकाओं के बीच प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कंपनियां ही नहीं हैं।
मिसाइल्स और गोला-बारूद का बजट 2022 के मुकाबले 2023 में 4 बिलियन डॉलर बढ़ाया गया था। 2024 के लिए इस खर्च में फिर 4 बिलियन डॉलर से ज्यादा का इजाफा किया गया है।
जानिए, आखिर कैसे एक महाशक्ति के सामने हथियारों का संकट खड़ा हो गया है…और क्यों अमेरिका के लिए आज चीन से निपटना मुश्किल हो सकता है।
यूक्रेन को 33 बिलियन डॉलर की मदद दे चुका है अमेरिका…इसमें सबसे ज्यादा मिसाइल्स
यूक्रेन और रूस के बीच जंग छिड़ने के बाद अमेरिका ने यूक्रेन को 33 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.72 लाख करोड़ की मदद दे चुका है।
इस मदद में मुख्यत: स्टिंगर और जैवलिन और SM-6 जैसी मिसाइल्स और आर्टिलरी शेल्स शामिल हैं। अमेरिका ये वो हथियार हैं जो किसी भी युद्ध की स्थिति में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं।
स्टिंगर मिसाइल ऑपरेट करते अमेरिकी सैनिक। इन मिसाइल्स का इस्तेमाल एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल के तौर पर भी होता है।
स्टिंगर और जैवलिन मिसाइल्स का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। इन्हें कंधे पर उठाए जा सकने वाले लॉन्चर की मदद से चलाया जा सकता है। किसी भी गाड़ी पर लॉन्चर माउंट किया जा सकता है। यही नहीं इनका इस्तेमाल फाइटर जेट्स और अटैक हेलीकॉप्टर्स में भी होता है।
SM-6 को लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल कहा जाता है। इसे मुख्यत: दुश्मन के जहाजों को नष्ट करने में इस्तेमाल किया जाता है।
इसके अलावा अमेरिका ने बड़ी संख्या में आर्टिलरी शेल्स यूक्रेन को भेजे हैं। तोप के ये गोले किसी भी जंग में सेना का सबसे बड़ा हथियार होते हैं। इनका इस्तेमाल टैंक, व्हीकल माउंटेड आर्टिलरी यूनिट से लेकर खींचे जाने वाली तोपों में होता है।
स्टिंगर, जैवलिन या SM-6 मिसाइल्स का सबसे जरूरी हिस्सा उसका रॉकेट मोटर होता है। इसे बनाने वाली अमेरिका में दो ही कंपनियां बची हैं…रेथियॉन और एयरोजेट रॉकेटडाइन।
एयरोजेट रॉकेटडाइन की सप्लाई लाइन में कुछ ही दिन पहले भीषण आग लगने की वजह से प्रोडक्शन बंद है और अब सिर्फ रेथियॉन ही इन मिसाइल्स को तैयार कर रही है।
रेथियॉन के चीफ एक्जिक्यूटिव ग्रेगोरी हेज ने पिछले दिनों वॉशिंगटन पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में माना था कि रॉकेट मोटर प्रोडक्शन उनके लिए दिक्कत भरा है क्योंकि डिमांड बहुत ज्यादा है और प्रोडक्शन की क्षमता कम है।
रेथियॉन के मुताबिक आज की प्रोडक्शन स्पीड पर चले तो स्टिंगर मिसाइल्स का स्टॉक पूरा करने में 13 साल लगेंगे। जैवलिन मिसाइल्स का स्टॉक पूरा करने में भी 5 साल लगेंगे।