मौत के पहले हसने का क्या हैं कारण।देखिए ये रिपोर्ट

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मौत इस जीवन की वो सच्चाई है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता है. हर इंसान को एक न एक दिन मरना जरूर है. यूं तो मौत कई तरीकों से हो सकती है. मौत के समय ज्यादातर इंसान की हरकतें और चेहरे के भाव डरावने हो जाए हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं मौत का एक तरीका ऐसा भी है, जिसमें मरने वाला मौत से ठीक पहले मुस्कुराने लगता है? जी हां, आइए विज्ञान से समझते हैं ये कौन-सा तरीका है और ऐसा क्यों होता है.

मलबे में दबे लोगों पर होता है ये असर।

अगर कोई इमारत गिर जाए, तो किसी को बचाने से पहले एक्सपर्ट के आने तक इंतज़ार करें. सामान्य तौर पर लोग मलबे में दबे हुए लोगों को बचाने की कोशिश में जुट जाते हैं. बेशक इंसानियत के नजरिए से यह एक अच्छा और सराहनीय कदम है, लेकिन यह किसी के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. असल में किसी को बचाने के लिए जब उसके ऊपर से मलबा हटाया जाता है, तो Crushing Pressure रिलीज होता है और उसकी मौत हो जाती है. आइए इसे विज्ञान से समझते हैं.

मलबे में दबने से उत्तकों पर बढ़ता है दबाव।

जब शरीर भारी मलबे में दबा होता है, तो शरीर के ऊतकों में अत्यधिक दबाव उत्पन्न होता है. जिसके कारण वो डैमेज हो जाते हैं और रक्त प्रवाह भी रुक जाता है. ऐसे में उस भार को एकदम से नहीं हटाया जाता है. ऐसे में बॉडी में Myoglobin नामक प्रोटीन रिलीज होता है. इसका काम Muscle Cells में ऑक्सीजन स्टोर करना है, जिससे जरूरत पड़ने पर अलग-अलग एक्टिविटी में उसका इस्तेमाल किया जा सके.

किसलिए मुस्कुराता है इंसान।

इस प्रक्रिया को Crush Syndrome कहा जाता है. ऐसे में शरीर से अचानक से भार हटाने पर क्रश सिंड्रोम की वजह से ऊतकों में ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से बढ़ने लगती है. इस दौरान खून में अत्यधिक मात्रा में पोटैशियम प्रवाहित होने से धड़कन बिगड़ जाती है और शॉक से इंसान की मौत हो जाती है. इस तरह की मौत से पहले इंसान हंसने लगता है. इसी वजह से इसे Smiling Death भी कहा जाता है. पहली बार क्रश सिंड्रोम पर रिपोर्ट जापानी डर्मेटोलॉजिस्ट Seigo Minami ने 1923 में पेश की थी. 

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