लोकसभा चुनावों में अभी करीब 12 महीने बाकी हैं, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे अहमद पटेल की बेटी अब राजनीति में एंट्री लेने के लिए तैयार दिख रही हैं। कांग्रेस के 85वें अधिवेशन में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के बाद मुमताज पटेल अब भरूच के मुद्दों को लेकर सक्रिय हो गई हैं। भरूच में पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मेलजोल के बाद मुमताज ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। नितिन गडकरी के साथ मुलाकात के बाद मुमताज ने ट्वीट किया है और लिखा है भरूच में राष्ट्रीय राजमार्ग-48 के खरोड फ्लाईओवर को नितिन गडकरी जी के के साथ सकारात्मक बातचीत हुई। इसके अलावा अंकलेश्वर में स्वामी विवेकानंद स्कूल की सड़क को चौड़ा करने के लिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया।
सोशल मीडिया पर पोस्ट की तस्वीर
मुमताज पटेल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ मुलाकात का अपडेट देते हुए अपनी तस्वीर भी साझा की है। यह पहला मौका है जब मुमताज पटेल ने भरूच के मुद्दों को लेकर बीजेपी सरकार के किसी मंत्री से मुलाकात की है। कांग्रेस के रणनीतिकार रहे अहमद पटेल के निधन से मुमताज भरूच में रहकर उनके समाजसेवा के काम को संभाल रही थीं। मुमताज कई मौकों पर यह चुकी हैं कि अगर लोग कहें तो मैं राजनीति में जरूरी आऊंगी, लेकिन इसके पहले उनके लिए कुछ करना चाहूंगी। पिता की मौत के करीब दो साल बाद अब मुमताज पूरी तरह से सक्रिय दिख रही हैं। रायपुर अधिवेशन में भी नजर आई थी और एक सत्र के दौरान मंच पर भी बैठी थीं।
पिता रहे आठ बार सांसद
मुमताज पटेल के पास अपने पिता अहमद पटेल का बड़ा नाम है तो उनके सामने उतनी बड़ी चुनौती भी है। 1977 में जब पूरे देश में कांग्रेस की हार हुई थी तब उसके उलट अहमद पटेल ने भरूच से लोकसभा चुनाव जीतकर अपनी चमक बिखेरी थी। इसके बाद वे तीन बार भरूच से चुने गए और 1989 तक लोकसभा में सदस्य रहे, लेकिन इसके बाद जब उन्हें चंदूभाई देशमुख के हाथों 1989 के चुनाव में हार मिली तो फिर उन्होंने राज्यसभा से संसद में पहुंचे। इसके बाद अहमद पटेल पांच बार गुजरात से राज्यसभा के सांसद रहे। अगर मुमताज पिता की सियासी विरासत को संभालने के लिए आगे बढ़ती हैं तो उन्हें भरूच के उसी समर में उतरना होगा। जहां से उनके पिता करीब 12 साल बाद सांसद रहे।
चार दशक से बीजेपी का कब्जा
मुमताज के पास पिता की बड़ी पहचान है तो चुनौती भी उतनी ही बड़ी है अगर वे भरूच से चुनाव में उतरती हैं तो उन्हें बीजेपी सबसे मजबूत गढ़ में कड़ी टक्कर देनी होगी। पिछले 10 चुनावों से इस सीट पर बीजेपी जीत रही है। चार बार बीजेपी के टिकट पर जहां चंदूभाई देशमुख ने जीत हासिल की तो वहीं 1998 से लगातार मनसुखभाई वसावा यहां से जीत रहे हैं। पिता के निधन के बाद समाजसेवा के प्रकल्पों को संभाल रही मुमताज के पार्टी और अब भरूच के मुद्दों को लेकर सक्रिय होने से संकेत मिल रहे हैं कि पिता की विरासत ही नहीं सियासत को संभालने के लिए तैयारी कर रही हैं। अगर ऐसा हुआ तो भरूच में लंबे समय बाद एक हाईप्रोफाइल मुकाबल देखने को मिल सकता है। फिलहाल मुमताज इसकी तैयारी करती हुई दिख रही हैं। कम से कम नितिन गडकरी के साथ उनकी मुलाकात से यही संकेत मिल रहे हैं।