भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के युवाओं के लिये लर्न एण्ड अर्न की तर्ज पर रोजगार के लिये कौशल सिखाने “मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना” लागू की है। युवाओं को उद्योगों के साथ सर्विस सेक्टर में कौशल प्रशिक्षण के साथ स्टाईपेंड भी दिया जायेगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हमारा संकल्प है कि युवाओं को बेरोज़गार नहीं रहने देंगे। इस उद्देश्य से युवाओं को रोज़गार के लिए कौशल सिखाने नई योजना लागू की जा रही है। युवाओं को कौशल सीखने के साथ भुगतान भी किया जाएगा।
कौशल प्रशिक्षण के लिए कंपनियों और सर्विस सेक्टर को जोड़ा जाएगा। नई योजना, युवाओं में क्षमता संवर्धन कर उन्हें पंख देने की योजना है, जिससे वे खुले आसमान में ऊँची उड़ान भर सकें और उन्हें रोज़गार, प्रगति और विकास के नित नए अवसर मिलें। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जारी प्रेस बयान के अनुसार,”मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना” में एक लाख युवाओं को 703 चिन्हित क्षेत्रों में दक्ष करने का प्रारंभिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जा सकेगा। योजना में मध्यप्रदेश के 18 से 29 वर्ष के स्थानीय निवासी 5वीं से 12वीं उत्तीर्ण युवा को 8 हजार रूपये, आईटीआई उत्तीर्ण को 8 हजार 500 रूपये, डिप्लोमाधारी को 9 हजार रूपये और स्नातक या उच्च शैक्षणिक योग्यता वाले युवाओं को 10 हजार रूपये प्रतिमाह स्टाईपेंड दिया जायेगा।
राज्य शासन की ओर से निर्धारित स्टाईपेंड की 75 प्रतिशत राशि प्रशिक्षणार्थियों को डीबीटी से भुगतान की जायेगी। संबंधित प्रतिष्ठानों द्वारा निर्धारित न्यूनतम स्टाईपेंड की 25 प्रतिशत राशि प्रशिक्षणार्थियों के बैंक खाते में जमा करानी होगी। प्रतिष्ठान अपनी ओर से निर्धारित राशि से अधिक स्टाईपेंड देने के लिये स्वतंत्र होंगे।
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जारी प्रेस बयान के अनुसार, योजना में ट्रेनिंग देने वाली संस्थाओं का पंजीयन 7 जून से और युवाओं का पंजीयन 15 जून से शुरू होगा। युवाओं का प्लेसमेंट 15 जुलाई से होगा। राज्य शासन और ट्रेनिंग देने वाली संस्थाओं के मध्य 31 जुलाई को अनुबंध होगा। योजना में युवाओं को एक अगस्त से प्रशिक्षण दिया जाना शुरू हो जायेगा। योजना में चिन्हित प्रतिष्ठानों का पेन एवं जीएसटी पंजीयन अनिवार्य होगा। प्रतिष्ठान अपने कुल कार्य-बल के 15 प्रतिशत की संख्या तक प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दे सकते हैं। जिन प्रतिष्ठानों में कम से कम 20 लोग नियमित रूप से कार्यरत हों, उनके कुल कार्य-बल की गणना ईपीएफ जमा करने के आधार पर की जायेगी। युवाओं को स्टाईपेंड एक वर्ष तक दिया जायेगा।