लखनऊ के क्वीन मैरी हॉस्पिटल की एक स्टडी में यह दावा किया गया है कि महाराजगंज में हुई इन मौतों के लिए महिलाओं के दूध में पाए गए कीटनाशक जिम्मेदार हैं। स्टडी में यह भी कहा गया है कि शाकाहारी महिलाओं की तुलना में मांसाहारी महिलाओं के दूध में अधिक कीटनाशक पाए गए।
सब्जियां और फसलें पेस्टिसाइड्स और केमिकल्स की मदद से उगाईं जा रही हैं। चिकन को जल्दी बड़ा करने और मवेशियों का दूध बढ़ाने के लिए भी केमिकल्स मिले सप्लीमेंट्स दिए जा रहे हैं, और यही कीटनाशक महिलाओं के दूध में भी पहुंच रहे हैं।
गर्भवती महिलाओं पर हुआ परीक्षण
रिसर्च में 130 शाकाहारी और मांसाहारी प्रेग्नेंट महिलाओं को शामिल किया गया था. यह शोध प्रोफेसर सुजाता देव, डॉ. नैना द्विवेदी और डॉ. अब्बास अली मेहंदी द्वारा किया गया था. इस स्टडी को एनवायरमेंटल रिसर्च जनरल में पब्लिश किया गया है. इस शोध में कहा गया है कि शाकाहारी भोजन करने वाली महिलाओं के दूध में मांसाहारी महिलाओं की तुलना में कम कीटनाशक पाए गए. लेकिन कीटनाशक दोनों ही महिलाओं में पाए गए.
मांसाहारी महिलाओं में पाए गए ज्यादा कीटनाशक
इस शोध में कहा गया है कि मां के दूध के जरिए बच्चे में भी कीटनाशक आराम से पहुंच सकते हैं. स्तन के दूध में मौजूद कीटनाशकों ने नवजात शिशुओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई. जिलाधिकारी ने बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोतरी की वजहों का पता लगाने के लिए चीफ डेवलपमेंट ऑफिसर (सीडीओ) की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय समिति का गठन किया है।
पहली बार 1951 में मां के दूध में मिला था DDT
1951 में पहली बार मां के दूध में DDT जैसा कीटनाशक मिला जो पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। कई साल बाद मां के दूध में सिर्फ डीडीटी ही नहीं, बल्कि कई और भी नुकसानदायक तत्व मिले।इनमें बिसफेनॉल ए, पॉलीब्रोमिनेटेड डाईफेनिल ईथर्स, हेक्साक्लोरोबेंजीन और साइक्लोडीन पेस्टीसाइड्स जैसे घातक केमिकल भी शामिल थे।
हरी सब्जियों या तमाम फसलों को उगाने के लिए तरह-तरह के कीटनाशकों और रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. जानवरों को भी सप्लीमेंट्स और केमिकल्स के इंजेक्शन्स दिए जाते हैं, जिसकी वजह से मांसाहारी भोजन करने वाली महिलाओं के स्तन के दूध में कीटनाशक का निर्माण हुआ.