महाराष्ट्र में पिछले कुछ सालों से सियासी संकट का दौर जारी है। विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। शिवसेना (Shiv Sena) में दो फाड़ होने के बाद अब इसके एक अन्य घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में भी टूट की खबरें जोर पकड़ रही हैं। चर्चा है कि चाचा-भतीजे यानी शरद और अजित पवार के बीच करीब एक दशक से भी ज्यादा वक्त से चल रही मौन लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है।
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के सियासी हलकों में इन दिनों सबकी जुबान पर चर्चा है कि एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ जाना चाहते हैं। खबर यह भी है कि उन्होंने एनसीपी सुप्रीमो और अपने चाचा शरद पवार से कहा है कि पार्टी को बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक, अजीत ने इसके पीछ दलील दी है कि वह और पार्टी के कई अन्य विधायक विभिन्न एजेंसियों के हाथों परेशानी का सामना कर रहे हैं और अब इसका अंत चाहते हैं, हालांकि शरद पवार बीजेपी के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं और खबर है कि उन्होंने अपने भतीजे से कह दिया है कि वह अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। ऐसे में अजीत के करीबियों ने पार्टी के 54 विधायकों में से अधिकांश को अपने पक्ष में करने के लिए संपर्क करना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर, पार्टी के पुराने नेताओं ने बड़े पैमाने पर पवार के साथ रहना चुना है और अब यह सुनिश्चित करने के लिए पार्टी विधायकों को फोन मिलाना शुरू कर दिया है कि वे अजित के साथ न जाएं।
शिवसेना जैसा प्रयोग चल रहा’
संजय राउत ने अजीत पवार के एनसीपी से अलग होने की खबरों को लेकर इसके पीछे बीजेपी का हाथ होने का इशारा किया। उन्होंने कहा, ‘एनसीपी के साथ भी यही प्रयोग चल रहा है।’ उस समय आधे (शिवसेना) विधायकों और सांसदों के खिलाफ ईडी की कार्यवाही चल रही थी।’
अजीत पवार पर ED का शिकंजा?
ईडी ने हाल ही में महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक (MSCB) घोटाले में पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा से जुड़ी एक कंपनी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट पेश की थी। हालांकि इस चार्जशीट में अजीत पवार या उनकी पत्नी का नाम नहीं है।
एक बयान ने अटकलों को दी हवा
अजीत पवार ने हाल ही में कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी की डिग्री पर विवाद अनुचित था क्योंकि मोदी ने अपने करिश्मे और शैक्षणिक योग्यता के कारण चुनाव जीता था, जो भारतीय राजनीति में अप्रासंगिक था। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की और यह भी कहा कि उन्हें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर पूरा भरोसा है