चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि इस बार बेहद खास होने जा रही है. महाअष्टमी पर ग्रहों का एक बेहद शुभ संयोग बनने जा रहा है. महाअष्टमी पर पूरे 700 साल बाद ग्रहों की विशेष स्थिति बन रही है, जो चार राशि के जातकों को लाभान्वित करेगी.
हिंदू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि की शुरुआत 28 मार्च, बुधवार आज शाम 07 बजकर 02 मिनट पर हो गई और इसका समापन 29 मार्च 09 बजकर 07 मिनट पर होगा. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 42 मिनट से 05 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. महाअष्टमी का अमृत मुहूर्त सुबह 09 बजकर 02 मिनट से सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक रहेगा.
महाअष्टमी के दिन दुर्गा मां के महागौरी रूप की पूजा की जाती है. इस दिन कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है. ऐसी मान्यता है कि अगर नवरात्रि की अष्टमी के पूजा-पाठ में थोड़ी सी भी चूक हुई तो बाकी दिनों की आराधना व्यर्थ चली जाती है. इसलिए इस दिन कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
नवरात्रि के दो दिन अष्टमी और नवमी बड़े ही खास माने जाते हैं. 29 मार्च, बुधवार यानी कल महाअष्टमी का कन्या पूजन होगा. इसे दुर्गाष्टमी भी कहते हैं. दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना की जाती है. इसलिए इसे महाअष्टमी भी कहते हैं. देवी महागौरी की पूजा अर्चना से जीवन में आ रही कई परेशानियों को दूर किया जा सकता है. महाष्टमी को दुर्गा पूजा का मुख्य दिन माना जाता है. इस दिन कुछ खास गलतियां करने से बचना चाहिए
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि इस बार बेहद खास होने जा रही है, क्योंकि इस महाअष्टमी पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चैत्र नवरात्रि में महाअष्टमी के दिन 6 प्रमुख ग्रह चार राशियों में विराजमान रहेंगे. गुरु इस समय स्वराशि मीन में हैं और 28 मार्च को इसी राशि में अस्त हो जाएंगे. इसके बाद मेष राशि में बुध का गोचर होगा. दूसरी तरफ, सूर्य मीन राशि में और शनि कुंभ राशि में विराजमान हैं. वहीं, शुक्र और राहु मेष राशि में बैठे हुए हैं. ज्योतिषियों का कहना है कि ग्रहों का यह संयोग पूरे 700 साल बाद बन रहा है.
इस महासंयोग के दौरान मालव्य, केदार, हंस और महाभाग्य योग का भी निर्माण होने जा रहा है. इस महायोग के निर्माण से कई राशियों के जातकों को विशेष लाभ की संभावना है. आइए जानते हैं इस महायोग से कौन सी राशियां लाभान्वित होंगी.
इस महासंयोग के दौरान मिथुन राशि के जातक भाग्यशाली साबित होंगे. मिथुन राशि वालों को शुभ समाचार मिलने के संकेत हैं. शादी-शुदा लोगों के लिए दाम्पत्य जीवन अच्छा रहेगा. वहीं, अविवाहित लोगों के लिए विवाह के योग बनेंगे. वहीं, बिजनेसमैन को बाजारी लाभ मिल सकता है. राजयोगों के संयोग से शुभ समाचार प्राप्त हो सकते हैं.
खास तरीके से करे पूजन विधि
अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पूजा करनी चाहिए. इस दिन देर से नहीं सोना चाहिए. अगर आपने व्रत नहीं भी रखा है तो भी उठकर स्नान करें और पूजा जरूर करें.
अष्टमी पर पूजा के बाद दिन में नहीं सोना चाहिए. ऐसा करने से साधक को पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है.
अगर आपने अष्टमी का व्रत रखा है तो नवमी के दिन कन्या पूजन से पहले कुछ भी ना खाएं. कन्या पूजन और उन्हें विदा करने के बाद ही व्रत का विधिवत पारण करें. इससे माता रानी की कृपा बनी रहती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
. महाअष्टमी के दिन दुर्गा चालीसा, मंत्र या सप्तशती के पाठ के समय किसी दूसरे से बात न करने लग जाएं. ऐसा करने से आपकी पूजा का फल नकारात्मक शक्तियां ले जाती हैं.
. संधि काल का समय दुर्गा पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है. संधि काल के समय 108 दीपक जलाए जाते हैं. अष्टमी के दिन संधि काल में ही दीपक जलाना शुभ माना जाता है. संधि काल का ध्यान रखें.
. अष्टमी के दिन हवन किए बिना पूजा न करें. हवन किए बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. ध्यान रखें कि हवन करते वक्त आहुति की सामग्री कुंड से बाहर ना जाए.
अष्टमी पर नीले या काले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए. उससे घर नकारात्मकता आती है. इस दिन पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है.