इन दिनों दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहन की मांग तेजी से बढ़ रही है। ये पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल हैं। पारंपरिक कार की तुलना में न सिर्फ शून्य उत्सर्जन करते हैं, बल्कि इन्हें चलाने का लागत भी कम पड़ती है। इतना ही नहीं, आइसीई (इंटरनल कंबशन इंजन) पावर्ड माडल के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों का रखरखाव भी आसान होता है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि जीवाश्म ईंधन वाले वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों में कम कंपोनेंट्स (घटक) होते हैं। हालांकि यह किसी से छिपा नहीं है कि पेट्रोल-डीजल वाले वाहनों से कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन होने के कारण ये पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। हालांकि इलेक्ट्रिक इंजन अभी भी नये जमाने की तकनीक है। यही वजह है कि कई बार संभावित खरीदार इसे लेकर दुविधा की स्थिति में होते हैं कि इसे खरीदना सही होगा या नहीं?
दिल्ली में इलेक्ट्रिक व्हीकल की सबसे ज्यादा बिक्री
आम आदमी पेट्रोल से त्रस्त तो वही इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी बढ़ गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के विस्तार में दिल्ली देश के दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे आगे हैं। वाहनों की कुल बिक्री में 8.30 फीसदी ईवी की हिस्सेदारी है। यह आंकड़ा 10 फीसदी से भी अधिक बढ़ गया। असम 5.91 फीसदी के साथ देश में दूसरे स्थान पर है। दिल्ली की बुराड़ी टैक्सी यूनिट 46.4 प्रतिशत ई वाहनों के साथ देश का सर्वाधिक हरित (ग्रीन) आरटीओ के तौर पर उभरा है। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवॉयरमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के अध्ययन रिपोर्ट में ये बातें सामने आईं।
कम पड़ती है चलाने की लागत: आमतौर पर इलेक्ट्रिक कार को चलाने की लागत 1.2-1.4 रुपये प्रति किमी. होती है, जबकि पेट्रोल से चलाने की लागत 9-10 रुपये प्रति किमी. या ज्यादा होती है। यदि आप लंबे समय में जैसे कि छह से आठ वर्ष के दौरान बैटरी चार्ज पर खर्च की बात करें, तो यह एक लाख रुपये के आसपास होती है। दूसरी ओर एक सामान्य ईंधन से चलने वाली कार को समान अवधि में लगभग 4.5 लाख रुपये के पेट्रोल/डीजल की आवश्यकता होगी। सीधे शब्दों में कहें, तो इलेक्ट्रिक कार लंबे समय में अधिक किफायती विकल्प हैं। फिलहाल इसकी कीमत अधिक है।
रखरखाव की कम जरूरत: पेट्रोल-डीजल कार की तुलना में इलेक्ट्रिक कार में कम कंपोनेंट होते हैं। इसलिए सर्विस सेंटर जाने की जरूरत भी कम पड़ती है। हो सकता है अभी आपके लिए इलेक्ट्रिक कार खरीदना महंगा हो, लेकिन रखरखाव और सर्विसिंग की लागत पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। आइसीई कार में गियर, इंजन, खराब हो चुके पुर्जों को बदलने के साथ मैकेनिकल हिस्सों के लिए रखरखाव की आवश्यकता होती है। मगर ईवी में कम पुर्जों की वजह से टूट-फूट की आशंका कम होती है। इसका मतलब है कि कार चेकअप के लिए सर्विस सेंटर में कम ले जाना होगा। चेकअप की बात करें तो, ईवी में इलेक्ट्रिक मोटर को कभी-कभी ब्रेक फ्लुइड टाप-अप के साथ बैटरी की हेल्थ को जांचने की जरूरत हो सकती है।
ईवी पर केंद्र सरकार की सब्सिडी: राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी देती है। केंद्र सरकार फैम-2 के तहत हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों पर यह पेशकश करती है।
कार,साइकिल,स्कूटर भी इलेक्ट्रिक
इलेक्ट्रिक वाहन की बात करें तो कार हो बाइसिकल हो स्कूटर हो ई-रिक्शा हो या फिर बस हो सभी तरीके के इलेक्ट्रिक वाहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।। कम मेंटेनेंस कम खर्च में यह वाहन ज्यादा उपयोगी साबित हो रहे हैं। बाजारों में इनकी बिक्री लगातार ज्यादा देखने को मिल रही है।