बिश्नोई समाज की महिलाएं हिरण के बच्चे को भी पिला देती हैं दूध

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महिलाओं की ममता की गहराई किसी से छिपी नहीं है. उसे बयां करने के लिए न हमारे पास वो शब्द हैं और न ही उतनी भावना. ऐसी ही हैं बिश्नोई समाज की महिलाएं. मां अपने बच्चों को जिस ममता से पालती है, उसी के साथ जानवरों को भी. इसका जीता-जागता उदहारण है एक फ़ोटो, जो हर दूसरे दिन वायरल हो जाती है. तस्वीर है एक मां की, जो हिरन के बच्चे को दूध पिला रही है. 
 वह है महिलाओं का जानवरों की दूध पिलाना. इसमें दिमाग में वह फ़ोटो तैरने लगती है, जिसमें एक महिला हिरण के बच्चे को दूध पिलाती रहती है.
ये तस्वीर ही उस दस्तूर की बानगी है, जिसमें बिश्नोई समाज का जानवरों के प्रति अटूट प्रेम दिखता है. बहुत दिनों तक बिश्नोई समाज  के लोग पशुपालन ही करते थे लेकिन समय के साथ-साथ अब वह दूसरे उद्योगों में भी आ गए. 

बताया जाता है कि बिश्नोई समाज के लोग गुरु जम्भेश्वर की पूजा करते हैं. उन्हें विष्णु का अवतार माना जाता है. गुरु जम्भेश्वर ने ही उन्हें 29 नियमों के पालन का निर्देश दिया है. इसमें से एक है, ‘जीव दया पालनी, रूख लीलू नहीं घावे’. इसका मतलब है कि वन्य जीवों की रक्षा और वृक्षों की हिफ़ाज़त करना.

पहले कहा जाता था कि बिश्नोई समाज के लोग राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में ज़्यादा रहते हैं. लेकिन, सच्चाई ये है कि बाकी समाज की तरह ये हरियाणा, पंजाब, यूपी और एमपी के साथ-साथ दूसरे राज्यों में फैले हुए हैं.

बिश्नोई समाज का प्रकृति और वन्य जीवों से लगाव बहुत पुराना है. कहा जाता है कि 1787 में जोधपुर रिसायत में इस समाज ने पेड़ काटने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था. पेड़ के बदले में लोगों ने कुर्बानी दी और कहा जाता है कि इसमें करीब 363 लोग शामिल थे. इसे याद करते हुए हर साल खेजड़ली में मेला आयोजित होता है

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