मध्यप्रदेश के छतरपुर से आने वाले बाबा बागेश्वर धाम पटना की यात्रा पर हैं ।लाखो लोगो का हुजूम उनके साथ चल रहा हैं।वो अपनी बात को बड़ी बेबाकी और निडरता से रखते हैं। एक बार फिर बिहार के पटना कौन उन्होंने हिंदू राष्ट्र की ओर इशारा किया तो नीतीश कुमार ने पलटवार भी किया ।
राजधानी पटना के नौबतपुर में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पांच दिवसीय कथा को 17 मई को समापन है. मंगलवार को उन्होंने कहा 13 करोड़ बिहारियों में से जिस दिन 5 करोड़ लोग अपने घर के आगे धर्म ध्वज और माथे पर तिलक लगाने लगेंगे, उस दिन देश हिंदू राष्ट्र की तरफ आगे बढ़ जाएगा. उनके इस बयान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि किसी को देश के संविधान का उल्लंघन करने का अधिकारी नहीं है. किसी को भी अधिकार है कि वह पूजा पाठ करे, लेकिन देश की नीति तय नहीं कर सकता. किसी को दूसरे धर्म में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं. अगर कोई कुछ बोल रहा है, तो उसपे क्या कहें. सभी को अपना धर्म मानने की आजादी है. नीतीश कुमार ने कहा कि कोई कुछ इधर-उधर नहीं कर सकता. किसी धर्म के खिलाफ किसी को नहीं बोलना चाहिए. देश के संविधान को इससे फर्क नहीं पड़ेगा.
सबको अपने ढंग से पूजा का अधिकार है।
नीतीश कुमार ने कहा कि हमको आश्चर्य होता है, जो ऐसा बोलते हैं. क्या जरूरत है ऐसा बोलने की? यहां हिंदू-मुस्लिम सब है. सबको अपने ढंग से पूजा का अधिकार है. सब धर्म मानने का अधिकार है. आजादी की लड़ाई कौन लड़े थे? संविधान सबकी सहमति से बना. हमको आश्चर्य होता है जो ऐसा बोलते हैं. क्या जरूरत है ऐसा बोलने की? सीएम ने कहा कि इस देश में सात धर्म हैं. पारसी तो बहुत कम हैं. जो अपनी मर्जी से बोल रहा है, उसकी कोई वैल्यू नहीं है, उन्होंने कहा कि जो लोग बोल रहे हैं, उनका जन्म आजादी की लड़ाई के वक्त थोड़ी हुआ था. संविधान में हर तबके के उत्थान की बात है. संविधान में परिवर्तन करेगा, तो लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत चाहिए. मेरे खिलाफ जो बोलता है उससे उसे फायदा होता है. आयोजन समिति की ओर से कार्यक्रम में आने के लिए नीतीश कुमार को भी न्योता दिया गया था. हालांकि वे नहीं गए.
उनका कोई जन्म उस समय हुआ था।
हिन्दू राष्ट्र के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी की लड़ाई कौन लोग लड़े थे। आजादी मिलने के बाद सभी की सहमति से देश का संविधान बना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी समेत सभी लोगों ने नामकरण किया। उसे सबों को स्वीकार करना चाहिए, उसको बदलना नहीं चाहिए। आजकल यह सब देखकर मुझे आश्चर्य होता है। दिल्ली वाले देश भर की मीडिया पर कब्जा किये हुए हैं, इस कारण इन सब चीजों का प्रचार होता है। देश के नाम को आपलोग बदल दीजिएगा? अभी जो लोग बोल रहे हैं उनका जन्म भी आजादी की लड़ाई के समय नहीं हुआ था। हमलोगों का भी जन्म आजादी मिलने के बाद हुआ है। हमारे पिताजी आजादी की लड़ाई में बहुत सक्रिय थे