बांग्लादेश में प्रदर्शन के कारण तख्तापलट की इस्तिथि बना दी है और शेख हसीना के इस्तीफा के बाद बांग्लादेश में असंतुलन फैला हुआ है.
बांग्लादेश भारत का पड़ोसी देश है जिसकी वजह से इसका असर भारत में भी पड़ेगा और उनमें से सबसे प्रमुख व्यापार है.
भारत बांग्लादेश से क्या आयात करता है?
भारत बांग्लादेश से वस्त्र, जूट,चमड़ा,कृषि उत्पाद एवं अन्य सामग्री जैसे खाद्य पदार्थ आयात करता है.बांग्लादेश का वस्त्र एवं परिधान उद्योग
पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है जैसे मुस्लिन,जामदानी,रेशम,
मुसलिन( यह एक हल्का और महीन सूती कपड़ा है, जो गर्मियों में पहनने के लिए उपयुक्त है),जामदानी( यह एक पारंपरिक बंगाली कपड़ा है, जो अपने जटिल पैटर्न और डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है),रेशम( बांग्लादेश अपने उच्च-गुणवत्ता वाले रेशम कपड़ों के लिए भी प्रसिद्ध है, जो अपनी चमक और सुंदरता के लिए जाना जाता है)
इन कपड़ों की विशेषता ये है की नाही केवल सुंदर बल्कि आरामदायक भी है जो इन्हें खास बनाता है.
बांग्लादेश भारत के कपास का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जो भारत के कुल कपास निर्यात का 34.9% है.
बांग्लादेश.जेनेरिक दवाईयों का प्रमुख उदपादक
बांग्लादेश भारत के लिए जनवरी दवाईयों और फार्मास्यूटिकल फॉर्मुलेशन एवं कच्चे माल का प्रमुख निर्याता है, जोकि भारतीय स्वस्थ में अपनी प्रमुख भूमिका रखता है.
बांग्लादेश भारत से क्या करता है आयात?
बांग्लादेश भारत का पड़ोसी होने के साथ साथ व्यापारिक साझेदार है.2023 वित्त वर्ष में भारत ने बांग्लादेश से 6,052 वस्तुओं का निर्यात किया जोकि 12.20 बिलियन अमेरिकन डॉलर के बराबर था.2022 में यह व्यापार 16.15 बिलियन अमेरिकन डॉलर का था.,भारत से बांग्लादेश सूती कपड़ा,पेट्रोलियम प्रमुख रूप से आयात करता है.
दोनो देशों के संबंध मजबूत है इसका प्रमाण इससे मिलता है की दोनो देशों के बीच व्यापार भारतीय रुपए में होता है.
मुक्त व्यापार समझौता(Free Trade Agreement)
एक मुक्त व्यापार समझौता भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश को आसान बनाने के लिए उपयुक्त होगा.बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी: भारत ने 2016 से बांग्लादेश को 8 अरब डॉलर की तीन लाइनें ऑफ क्रेडिट दी हैं जो सड़क, रेल, शिपिंग और पोर्ट बुनियादी ढांचे के विकास के लिए हैं.FTA समझौते के बावजूद, व्यापार में कमी आ सकती है क्योंकि बांग्लादेश की स्थिति नाजुक हैं.जिसकी वजह से आया तो निर्यात के शुल्कों पर वृद्धि हो सकती है और व्यापारियों को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.