बच्चों के साथ बड़ों को भी हो सकता है ऑटिज़्म, जानिए डिटेल्स

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आपको बतादें की दुनिया में Autism Spectrum Disorder ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर  के मामलें यू तो बहुत कम देखने को मिलते है. इसके साथ ही आपको बतादें की ये एक ऐसा डिसऑर्डर  है जिसके लक्षण और इलाज दोनो ही समान नही है. World Health Organisation से इस बात की जानकारी हासिल हुई है की हर 160 बच्चें में से केवल 1 बच्चे को इस डिसऑर्डर की परेशानी है. लेकिन आपको बतादें की इस डिसआॅर्डर के लिए अभी कोई प्रत्यक्ष आकड़ा मौजुद नही है.

अमेरिका के जारी किए गए आकड़ों के हिसाब से सेंटर्स फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन की एक रिपोर्ट में ये बताया गया था की अमेरिका की मकुल आबादी में 2.21 प्रतिशत आबादी के इस ऑटिज़्म डिसऑर्डर  की शिकार है. स्वास्थय संगठन से इस बात के बारे में बताया गया की ये एक ऐसी बिमारी है जिसका सीधे तौर पर असर बात करने या संवाद करने पर और व्यवहार करने पर पड़ता है. और इस बिमारी को उम्र के हिसाब से नही देखा जा सकता है. एक तरीके से देखा जाए तो ये एक स्पेक्ट्रम है जिसमें प्रभावित इंसान अलग अलग रूप से ऑटिस्टिक लक्षणों को महसुस करता है.

इस डिसऑर्डर की शुरूआत आमतौर पर बचपन में देखी जाती है. क्योंकि कई बच्चों में इस डिसऑर्डर के लक्षण दो सालों में उभर कर आने लगते है. वहीं कई लोगों में देर से नजर आते है. अगर आत करें उन लक्षणों की जिन्हें देरी से पहचाना जाता है तो उनमें ज्यादातर केस महिलाओं के सामने आते है. क्योंकि वे अपने आस पास हो रही सभी घटनाओं को अच्छे से अपनी व्यवहार के जरिए छिपा लेती है. इसके साथ ही आपको बतादें की ये कोई बिमारी नही है केवल इस डिसऑर्डर में लोगों का दिमाग आम लोगों के मुकाबले थोड़े अलग ढ़ंग से काम करता है. बतादें की ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लिए कोई ईलाज नही है. लेकिन इससे प्रभावित लोगों को मदद दी जा सकती है.

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