प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैंने पितातुल्य व्यक्ति को खोया है, बादल साहब हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे। 95 वर्षीय बादल का मंगलवार को मोहाली में फोर्टिस अस्पताल में निधन हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए चंडीगढ़ स्थित शिरोमणि अकाली दल के कार्यालय भी गए थे।
प्रकाश सिंह बादल पर लिखा ब्लॉग।
अकाली दल के नेता बादल सिंह के निधन पर बुधवार को अपनी वेबसाइट के एक ब्लॉग में पीएम मोदी ने लिखा, “25 अप्रैल की शाम को जब मुझे सरदार प्रकाश सिंह बादल जी के निधन की खबर मिली तो मन बहुत दुखी हुआ। उनके निधन से मैंने एक पिता तुल्य व्यक्ति खो दिया है, जिन्होंने दशकों तक मेरा मार्गदर्शन किया। उन्होंने कई तरीकों से भारत और पंजाब की राजनीति को आकार दिया है।”
प्रकाश सिंह बादल को बताया किसान नेता
यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि भारत के इतिहास में सरदार प्रकाश सिंह बादल साहब को एक बड़े किसान नेता के रूप में जाना जाएगा। कृषि और किसान उनके दिल में रचे-बसे थे। वे जब भी किसी अवसर पर बोलते थे, उनके भाषण तथ्यों, नवीनतम जानकारियों और ढेर सारे व्यक्तिगत अनुभवों से भरे होते थे।
1990 के दशक में जब मैं उत्तरी भारत में पार्टी का काम देखता था, तब मुझे बादल साहब को निकटता से जानने का अवसर मिला। बादल साहब एक लोकप्रिय नेता थे, वे एक राजनीतिक दिग्गज थे जो पंजाब के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और दुनियाभर के करोड़ों पंजाबियों के दिलों पर राज करने वाले व्यक्ति थे। दूसरी ओर, मैं एक साधारण कार्यकर्ता था। फिर भी, अपने स्वभाव के अनुरूप, उन्होंने कभी भी इसे हमारे बीच खाई नहीं बनने दी। वे गर्मजोशी के साथ-साथ संवेदनाओं से भरे एक जीवंत व्यक्तित्व थे। ये ऐसे गुण थे, जो आखिरी सांस तक उनके साथ रहे। हर कोई जिसने बादल साहब के साथ निकटता से बातचीत की, उनकी बुद्धिमत्ता और हंसमुख स्वभाव का कायल हो गया।
प्रधानमंत्री ने शेयर किया एक किस्सा।
प्रधानमंत्री मोदी ने 90 के दशक का किस्सा याद करते हुए लिखा कि उस समय बादल पंजाब के सीएम थे और मैं भाजपा का साधारण कार्यकर्ता, लेकिन अपने स्वभाव के अनुरूप उन्होंने कोई भेदभाव नहीं आने दिया। वह गर्मजोशी के साथ ही संवेदनाओं से भरे जीवंत व्यक्तित्व थे। पीएम ने लिखा कि सीएम पद की शपथ लेने के बाद बादल साहब ने मुझसे कहा कि हम अमृतसर जाएंगे और मत्था टेकेंगे। साथ में लंगर छकेंगे। अमृतसर पहुंचा और गेस्टहाउस के अपने कमरे में था, लेकिन जब उन्हें इसका पता चला तो वह मेरे कमरे में आए और मेरा सामान उठाने लगे। उनसे जब यह पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं तो उनका जवाब था, आओ मेरे साथ। वह मुझे अपने कमरे में ले गए और कहा कि तुम यहां रहोगे। वह मेरे मना करने पर भी नहीं माने और मुझे वहां रहना पड़ा। वह खुद दूसरे कमरे में रुके। मेरे जैसे बेहद साधारण कार्यकर्ता के प्रति उनके इस भाव को मैं हमेशा संजो कर रखूंगा।