पहलवान कब तक धरने पर बैठने को मजबूर। कब मिलेगा न्याय

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भारत के टॉप रेसलर बीते 26 दिन से जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं। उनके सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने सात महिला पहलवानों की यौन शोषण की शिकायत दर्ज की। इसमें एक नाबालिग भी शामिल है जिसकी एफआईआर पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज की गई है। बुधवार को पहलवानों ने यह आरोप लगाया कि नाबालिग के परिवार वालों को धमकाया जा रहा है।

नाबालिग के स्कूल पहुंचे लोग।

पहलवानों ने बताया कि जब से दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की है नाबालिग शिकायतकर्ता को काफी परेशान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लोग उस स्कूल में भी पहुंचे जहां वह नाबालिग पढ़ती है। उन्होंने उसकी जन्म की तारीख बदलने की कोशिश की ताकि पोक्सो के तहत एफआईआर न लगे। पहलवानों की अपील के बाद नाबालिग ने कुछ दिन पहले ही मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया था।

धीमी जांच कर रही है दिल्ली पुलिस।

दिल्ली पुलिस की जांच को साक्षी धीमा मान रही हैं। उन्होंने कहा, ‘जांच की रफ्तार बहुत धीमी है। 21 अप्रैल को शिकायत की गई थी। 28 अप्रैल से 17 मई तक जांच चल ही रही है। हम देख रहे हैं कि बृजभूषण को बचाने के लिए कितनी कोशिशें की जा रही है। अपराधी बहुत ताकतवर हैं इसलिए पुलिस पर दबाव है।’ खिलाड़ियों ने कुछ समय पहले कोर्ट में दिल्ली पुलिस से जांच पर अपडेट मांगने के लिए याचिका दायर की थी।’
साक्षी ने आरोप लगाते हुए कहा की कौन गलत कौन सही का पता नार्को टेस्ट से लगवा लीजिए आपको पता चल जायेगा की गलती किसकी थी।ये सरकार हमारे साथ न्याय नहीं कर रही हैं

पहलवान अवॉर्ड कर सकते हैं वापस।

साक्षी ने कहा कि सरकार ने उन्हें जो अवॉर्ड दिए हैं उसका कोई मतलब नहीं है अगर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो। इसी वजह से वह इन अवॉर्ड को लौटाने की बात कर रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों के समर्थन पर इन खिलाड़ियों का साफ कहना है कि उनके मंच पर सभी का स्वागत है।

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