भारतीय संविधान हर नागरिक को जीने का अधिकार देता है यह बात आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन भारत के संविधान ने जानवरों को भी जीवन जीने की आजादी दी है। अगर इनके जीवन को बाधित करने का कोई प्रयास करता है तो इसके लिए संविधान में कई तरह के दंड़ के प्रावधान हैं। जेल की सजा भी हो सकती हैं
क्या आपने कभी अपने जीवन में जानवरों की भूमिका के बारे में सोचा है? यदि ऐसा नहीं है, तो आपको इससे अवगत होने की बहुत ही आवश्यकता हैं। जानवर सीधे या अन्य तरीकों से मनुष्य के अस्तित्व के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। हममें से कइयों के घरों में ये हमारे दोस्त या साथी या परिवार के हिस्से के रूप में होते हैं।
जो लोग जानवर के साथ क्रूरता या अभद्र व्यवहार करते हैं
के लिए भी अब कानून है
अगर कोई व्यक्ति स्वतंत्र पशुओं या जानवरों पर अत्याचार करते हैं वहाँ पर वन्य पशु संरक्षण अधिनियम,1972 के अंतर्गत अपराध बनता है लेकिन अगर कोई व्यक्ति पालतू जानवर या पशु जैसे:- गाय, बैल, हाथी, घोड़ा, ऊंट,बाघ या अन्य जानवर जिसका कोई स्वामी हो अर्थात किसी व्यक्ति द्वारा उनका भरण पोषण किया जा रहा हो ऐसे पशुओं को कोई मारता है, विष देता है, विकलांग करता है तब उस व्यक्ति को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 429 के अंतर्गत दोषी माना जायेगा।
आईपीसी की धारा 429- गिरफ्तारी, जमानत, सजा और समझौता
भारतीय दंड संहिता की धारा 429 के तहत दर्ज किया गया अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है। इसमें गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है और पुलिस थाने में ही जमानत की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट के द्वारा की जाती है। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
. किसी भी जानवर को परेशान करना, छेड़ना, चोट पहुंचाना, उसकी जिंदगी में व्यवधान उत्पन्न करना अपराध है। ऐसा करने पर 25 हजार रुपए जुर्माना और 3 साल की सजा हो सकती है।
गोहत्या पर 10वर्ष की सजा
भारत की 80 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी हिंदू है जिनमें ज़्यादातर लोग गाय को पूजते हैं. लेकिन ये भी सच है कि दुनियाभर में ‘बीफ़’ का सबसे ज़्यादा निर्यात करनेवाले देशों में से एक भारत है.दरअसल ‘बीफ़’, बकरे, मुर्ग़े और मछली के गोश्त से सस्ता होता है. इसी वजह से ये ग़रीब तबक़ों में रोज़ के भोजन का हिस्सा है, तो अब हो जाए सावधान
इसमें गौ हत्या करने वाले व्यक्ति के लिए दस वर्ष के कारावास का प्रावधान किया गया है। अवैध रूप से गौ मांस बिक्री के लिए ले जाने वाले वाहन चालक के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी और उस वाहन को जब्त किया जाएगा।
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 16 (सी) के तहत जंगली पक्षियों या सरीसृपों को नुकसान पहुंचाना, उनके अंड़ों को नुकसान पहुंचाना, घोंसलों को नष्ट करना अपराध है। ऐसा करने का दोषी पाए गए व्यक्ति को 3 से 7 साल का कारावास और 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 429 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा(1) के अनुसार किसी भी प्रकार के पालतू जानवरों या पशु को नुकसान पहुचाने का अपराध एक समझौता योग्य अपराध हैं इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही उस व्यक्ति (पशुपालक) से किया जा सकता है जिस व्यक्ति के जानवर या पशु को क्षति पहुचाई गई हैं।
वन्य जीव संरक्षण कानून क्या है ?
जानवरों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इसका मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था। इसमें वर्ष 2003 में संशोधन किया गया जिसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रखा दिया गया। इसमें दंड और और जुर्माना को और भी कठोर कर दिया गया है।