परीक्षा को लेकर बीएड डिग्री धारकों ने रोका आंदोलन, SC के फैसले का किया विरोध

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प्राइमरी टीचरों की नौकरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपेक्षाओं को कदम से कदम बढ़ाते हुए B.Ed डिग्री को अयोग्य ठहराया है, जिससे एक ताजगी विवाद का आदान-प्रदान उत्पन्न हुआ है। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, बी.एड धारकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रतिष्ठित आपत्तियों का सामना किया जा रहा है। उनकी दृष्टि में, सरकार को एससी के इस फैसले के खिलाफ विशेष अध्यादेश पारित करना चाहिए। बी.एड पास युवा नेताओं ने इस मुद्दे पर अपने आंदोलन को विरोध की ओर मोड़ दिया है, जिससे उनका रविवार को होने वाले CTET परीक्षा के प्रति चिंता और विरोध स्थगित हो गया है। सीबीएसई ने CTET की परीक्षा की तारीख की घोषणा की है, जिससे बी.एड डिग्री वालों के आपत्तियों का संकेत मिलता है। यह विवाद न केवल लखनऊ, बल्कि देश के विभिन्न शहरों में भी उमड़ चुका है और यह स्थिति दिखा रही है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का असर समाज में बहुत गहरा है।

देश की सर्वोच्च अदालत ने 11 अगस्त को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया, जिसने B.Ed पास विद्यार्थियों के भविष्य को नया दिशा सूचीत किया। इस अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय के परिणामस्वरूप, वे सभी छात्र जिनके मन में यह प्रश्न था कि क्या उन्हें केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा में भाग लेने का अधिकार है या नहीं, उनकी चिंता दूर हुई है। इस बाद, एडमिट कार्डों की जारी होने के बाद, उनके मन में इस संदेह का समाधान हो गया है। इस नई परियोजना के तहत, परीक्षा को दो चरणों में व्यवस्थित किया गया है, जिससे छात्रों को अपनी ज्ञानशीलता और संवेदनशीलता का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा। यह निर्णय बिहार के B.Ed डिग्री धारकों के लिए भी एक बड़ी सफलता की खबर है, क्योंकि यहां बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) ने पहली बार शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की है। इस प्रमुख घटना के तहत, 24, 25 और 26 अगस्त को इस परीक्षा का आयोजन होने वाला है, और इसका एलान किया गया है कि B.Ed धारक भी इसमें भाग लेंगे।

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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के परिणामस्वरूप, बड़े उत्साह के साथ यह परामर्श दिया जा रहा है कि शायद B.Ed धारकों को बाहर किया जा सकता है; हालांकि इस बिचार को आयोग के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने बताया कि जब आवेदन प्रक्रिया आयोग के द्वारा आयोजित की गई थी, तब B.Ed पाठ्यक्रम के प्रारंभिक शिक्षकों के लिए भी उपयुक्तता थी। इस दृष्टिकोण से, उन्हें परीक्षा देने का अवसर प्रदान किया जा रहा है; हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को पालन करते हुए, क्या उन्हें प्रारंभिक शिक्षक की पदों पर नियुक्ति मिल सकती है, यह निर्णय कानूनी प्राधिकृत मार्गदर्शन के आधार पर होगा। इस संदर्भ में, लगभग 3,80,000 B.Ed धारकों ने प्रारंभिक शिक्षक पदों के लिए आवेदन किया है। यहाँ तक कि यह पहले बी.एड पास उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध था; यह प्रक्रिया 2018 से संचालित हो रही थी, जब नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (NCTE) द्वारा एक संशोधित अधिसूचना जारी की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को अपने आदेश में इस अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसमें यह जताया गया कि B.Ed धारकों के पास छोटे बच्चों को शिक्षा देने की उपयुक्त तरीके की ट्रेनिंग नहीं होती है, जिसके कारण वे उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान नहीं कर सकते।

पहले यह व्यवस्था थी कि बी.एड डिग्री वाले छह महीने के ब्रिज कोर्स में शामिल होकर कक्षा 1 से 5 तक के छोटे छात्रों को पढ़ाया जाता था। BBA, B Pharma और B Tech जैसी उच्चतम शिक्षा की डिग्रियों के पश्चात्तर भी, कई लोग सरकारी नौकरी की आशा में बी.एड की ओर रुख करते थे। विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार, देशभर में वर्तमान में लगभग 50 लाख B.Ed पास व्यक्तियों को रोजगार की कमी महसूस हो रही है। इसके परिणामस्वरूप, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बी.एड पास व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से कैसे सामंजस्य करें, उनके लिए एक बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। उनकी मांग है कि केंद्र सरकार सर्वोच्च अदालत के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाकर इस मुद्दे पर विचार करे।

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