पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर एरिया में इन दिनों आग का कहर देखने को मिल रहा है. यहां आग अपना तांडव दिखा रही है. आग से उठ रहे धुएं को कई किलोमीटर दूर से देखा जा सकता है. जंगलों में आग लगने से जहां एक तरफ वन्य जीवों पर खतरा मंडरा रहा है तो वहीं दूसरी ओर वनस्पतियों को भी काफी नुकसान हो रहा है.
ताजा घटनाक्रम पीटीआर के अजयगढ़ क्षेत्र के अजयपाल किले आसपास के जंगलों की है। आग ने जंगल को अपनी चपेट में ले लिया। जानकारी लगते ही मौके पर पहुंची पीटीआर की टीम ने बड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया है।
गर्मी के दिनों में पन्ना जिले के उत्तर वनमंडल, दक्षिण वन मंडल सहित पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगलों में आग की घटनाएं सामने आने लगती हैं। जिससे पीटीआर प्रबंधन व वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को आग बुझाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होती है। ताजा मामला सोमवार की सुबह से सामने आया है। जहां पीटीआर के अजयगढ़ क्षेत्र के अजयपाल किले के बफर क्षेत्र के जंगलों में अचानक आग की लपटे और धुआं दिखने लगा। स्थानीय लोगों ने जानकारी पीटीआर प्रबंधन को दी। जानकारी लगते ही मौके पर पहुंची पीटीआर प्रबंधन की रेस्क्यू टीम ने आग बुझाने का प्रयास शुरू किया। कड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू टीम ने आग पर काबू पा लिया है। बफर क्षेत्र में आग लगने से वन्यजीवों व वनस्पतियों को काफी ज्यादा नुकसान होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
इस कारण लगती है जंगलो में आग
जंगल मे गर्मी के शुरुआती दिनों में गर्मी व तेज धूप के बढ़ने से आग की खबरें सामने आने लगती हैं, क्योंकि जंगल मे पेड़, पौधों के पत्ते व झाड़ियां सूख जाती हैं। जमीन पर गिरे पत्तो में महुआ, सूखी लकड़ी बीनने वाले ग्रामीण आग लगा देते हैं। कुछ लोग जंगल मे बीड़ी सिगरेट पीकर फेंक देते हैं, जिससे आग लग जाती है।
महुआ बीनने वाले लगा देते हैं आग :आग लगने की घटना को लेकर जब फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गर्मी आते ही जंगलो में आग की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन ऐसे किसी बड़े नुकसान की खबर फिल्हाल नहीं है. गौरतलब है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में आए दिन छोटी-बड़ी आगजनी की घटनाएं हो रही हैं. पन्ना-अजयगढ़ घाटी के पास अक्सर लोगों को जंगलों में आग लगी हुई दिखाई दे रही है. बता दें कि जिले में इन दिनों महुआ बीनने का सीजन चल रहा है. महुआ बीनने वाले लोगों द्वारा पेड़ के नीचे साफ- सफाई करने के उद्देश्य से आग लगा दी जाती
टाइगर रिजर्व की टीमें करती हैं निगरानी :ग्रामीणों की नासमझी से कभी-कभी ये आग बड़ा रूप ले लेती है. फील्ड डायरेक्टर का कहना है कि महुआ बीनने वाले लोग पेड़ों के नीचे सफाई करने के लिए आग लगा देते हैं, जो धीरे-धीरे जंगलों में फैल जाती है. हालांकि टाइगर रिजर्व ने आगजनी की घटनाएं रोकने के लिए टीमें भी बनाई हैं. प्रत्येक टीम में फायरमैन और वन कर्मचारी शामिल रहते हैं, जो आग लगने की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचते हैं. ये लोग आग पर काबू पाने का प्रयास करते हैं लेकिन आगजनी की इन घटनाओं से कहीं न कहीं वन्यजीवों को काफी नुकसान हो रहा है
आग पर काबू पा लिया।
अजयगढ़ घाटी के समीप तरोनी के जंगलों में भीषण आग लग गई थी और देखते ही देखते भीषण रूप लेने लगा था। ऐसे में मैदानी अमला भी आग बुझाने में विफल रहा, लेकिन जैसे ही जानकारी कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा को लगी वे तुरंत ही डीएफओ और वन अमले के साथ मौके पर पहुंच गए। फायर ब्रिगेड की टीम ने मुस्तैदी दिखाते हुए आग पर काबू पा लिया।