नई दिल्ली: लोकसभा में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत ‘श्वेत पत्र’ पर 12 घंटे के दौरान कांग्रेस पर हमला बोला. मोदी सरकार ने कांग्रेस के पिछले शासन में किए गए कार्यों को सुधारने की बात कही है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि दस्तावेज़ में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में भ्रष्टाचार, घोटालों, आर्थिक कुप्रबंधन और खराब नीति नियोजन पर प्रकाश डाला.
निर्मला सीतारमण ने सदन में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में श्वेत पत्र पेश किया. इसमें जहां यूपीए सरकार की विफलताओं की सूची थी, वहीं इसमें अर्थव्यवस्था को बदलने और देश की छवि बनाने के लिए एनडीए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी सूची थी.
लोकसभा में निर्मला सीतारमण ने कही बड़ी बात
लोकसभा में ‘श्वेत पत्र’ पर बहस की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस के लिए हमेशा ‘परिवार पहले’ है. उन्होंने कहा, इस श्वेत पत्र में दिखाई गई तुलना स्पष्ट रूप से बताती है कि अगर सरकार इसे सच्ची ईमानदारी, पारदर्शिता और राष्ट्र को पहले रखकर संभालती है, तो परिणाम सबके सामने होंगे.
सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार ने कोविड-19 के दौरान सबसे आगे रहकर देश का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का गौरव बहाल किया. 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जिस तरह से इसे संभाला गया, उससे देश की प्रतिष्ठा खराब हुई। उन्होंने कहा कि कोयला घोटाला भी यूपीए शासनकाल में हुआ था.
कांग्रेस पर साधा निशाना
नरेंद्र मोदी सरकार के 10 वर्षों के साथ यूपीए वर्षों की तुलना करते हुए, श्वेत पत्र’ यूपीए सरकार की बैंकिंग संकट विरासत पर भी प्रकाश डालता है. जब वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता में आई, तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सकल गैर-निष्पादित संपत्ति (जीएनपीए) अनुपात 16.0 प्रतिशत था, और जब कार्यालय छोड़ा, तो यह 7.8 प्रतिशत था.
अनेक घोटालों से सरकारी खजाने को भारी राजस्व घाटा हो रहा था और राजकोषीय एवं राजस्व घाटा नियंत्रण से बाहर हो रहा था. 2014 में, हमारी सरकार को एक गहरी क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्था विरासत में मिली, जिसकी नींव को आत्मनिर्भर दीर्घकालिक आर्थिक विकास को सक्षम करने के लिए फिर से बनाना पड़ा, श्वेत पत्र में उल्लेख किया गया है.
वित्त मंत्री ने लोकसभा में यूपीए शासन के दौरान हुए 15 घोटालों को उजागर किया. कोयला ब्लॉक आवंटन’ सीतारमण द्वारा श्वेत पत्र में उजागर किया गया पहला घोटाला था. उस समय, यह सीधे प्रधान मंत्री की निगरानी में था और इसलिए डॉ. मनमोहन सिंह की ‘मिस्टर क्लीन’ छवि धूमिल हो गई.