नवरात्री का शुभारंभ।। भक्तिमय हुआ भारत।

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पूरे विश्व में भारत एक ऐसा देश है जहां पर धर्मों को विशेष देवताओं की पूजा अर्चना कर और बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
साल में 4 नवरात्रि आती है एक चैत्र नवरात्रि, दूसरा अश्विनी या शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि भी साल में आते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की उपासना की जाती है। 9 दिन तक भक्त मां दुर्गा की उपासना करके उन्हें प्रसन्न करते हैं
22 मार्च यानी आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। सनातन हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का बहुत अधिक महत्व होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। 22 मार्च से शुरू होने वाले नवरात्रि का समापन 30 मार्च को होगा।

चैत्र नवरात्रि का धार्मिक महत्व

साथ ही व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने से व्यक्ति कई तरह की समस्याओं से छुटकारा पाता है। इसके अलावा व्रत रखने से हमारे विचार भी शुद्ध होते हैं।

नवरात्री की पूजा का बड़ा महत्व होता है। लेकिन हमें इस बात का पता होना चाहिए की पूजा सामग्री पूरी हो वरना पूजा अधूरी ही मानी जाती है और कैसे पूजा करें ये भी अच्छे से पता होना चाहिए। आइए जानते हैं नवरात्रि पूजा विधि के बारे में विस्तार से।

नवरात्रि पूजा सामग्री

एक चौकी, लाल कपड़ा, आम की लकड़ियां, हवन कुंड, काले तिल, कुमकुम, अखंड अक्षत, धूप, प्रसाद के लिए पंचमेवा, लोबान, घी, लौंग, गुग्गल, सुपारी, कपूर, मां का पूरा श्रंगार जैसे – चूड़ी, सिन्दूर, काजल, मेहंदी, लिपस्टिक, लाल चुनरी, बिछिये, और इसके अलावा जो भी होता है वो भी। गुग्गल, हवन के अंत में चढ़ाने के लिए भोग।

पूजा करने की विधि 

नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
उसके बाद साफ कपड़े पहनें।
इसके बाद पूजा के लिए स्थान को गंगाजल डालकर साफ करें।
अब घर के मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें।
इसके बाद मां दुर्गा की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराकर शुद्ध कर लें।
अब साफ किये हुए स्थान पर माता मूर्ति स्थापित करें।
इसके बाद मां को अक्षत, सिंदूर, लाल पुष्प अर्पित करें।
अब माता रानी का श्रंगार करें, और उन्हें लाल चुनरी उढ़ायें।
इसके बाद उन्हें मेवे, मिठाई और फल का भोग लगाएं।
अब धूप जलाकर पूजा शुरू करें, और दुर्गा मां का पथ करें।
पाठ होने के बाद अंत में माता की आरती करें।
एक समय ही फलाहार भोजन ग्रहण करें।
सेंधा नमक वाला खाना खाएं।
उपवास रखने वाले लोग दान करें और जरूरतमंद की सेवा करें।
नौ कन्याओं को भोजन जरूर कराएं
अगर आप सप्तमी, अष्टमी या नवमी तिथि के दिन व्रत खोल रहे हैं तो इस दिन नौ कुंवारी कन्याओं को भोजन जरूर कराएं. साथ ही इस दिन माता के नाम से हवन और पूजन करना चाहिए. नवरात्रि के समय व्रत रखते हुए इस बात का ध्यान रखें कि झूठ बोलने या किसी के प्रति अपशब्द बोलने से बचें. मन में शुद्ध विचारों को स्थान दें.

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