द केरल स्टोरी दिल को झकझोर कर रख दे।

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वैसे तो बॉलीवुड में आजकल रियल स्टोरी का का चलन सा हो गया हैं।इस बात में कोई शक नहीं है कि सिनेमा जनमानस की अवधारणाओं को बदलने की बहुत बड़ी ताकत रखता है।

यह हिम्मत बॉलीवुड ने दिखाई।

कभी” द कश्मीर फाइल “तो अब द केरल स्टोरी में बवाल मचा रखा है! लेकिन जनता को द केरल स्टोरी बहुत पसंद आ रही है लगातार लोग थिएटर में इसे देखने जा रहे हैं और देख रहे हैं कि किस तरीके से लड़कियों के साथ अत्याचार किया गया किस तरीके से केरल में 35000 लड़कियों को गायब करने की खबर आई यह हिम्मत बॉलीवुड के ही लोगों ने अपने एक्ट में दिखाई हैं। कई राजनीतिक पार्टियां इस पर भी सवाल कर रही है कि चुनाव आ रहे हैं तो यह लोग जनता को अंधविश्वास में डाल रहे हैं। तो कई लोग इसका समर्थन भी कर रहे हैं। पर” द केरल स्टोरी” ने अभी तक सबसे ज्यादा कमाई करने वाली पिक्चर बन गई है.

दिल को छू लेने वाली कहानी।

कई कहानियां दिल को छू जाती हैं। विवादों और विरोधों के बीच हाल ही में सिनेमाघर पहुंची अदाकारा अदा शर्मा और निर्देशक सुदिप्तो सेन की फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ का भी कुछ ऐसा ही हाल है। जबरन धर्मांतरण और आतंकवाद की कहानी पर बनी ये फिल्म केरल में हुई सच्ची घटनाओं पर होने का दावा करती है। इस फिल्म की रिलीज पर काफी हंगामा मचा और मामला अदालत तक पहुंचा था। फिल्म की रिलीज पर बैन की मांग को कोर्ट ने अस्वीकार करते हुए आखिरकार इसे रिलीज करने का आदेश दे दिया। साथ ही मेकर्स से फिल्म का ‘32000 महिलाओं के धर्म परिवर्तन’ का टीजर जरूर हटाने के आदेश दे दिए। अब ये फिल्म जब थियेटर पहुंची है तो धाकड़ कमाई की ओर बढ़ती दिख रही है।

अब बारी भारत की।

अब बारी भारत की है। भारत की अपनी विचारधारा क्या है, ये बात दुनिया को समझाने की जरूरत है। जरूरत उस पूरी नई पीढ़ी को भी समझाने की है, जिसके लिए प्यार पहली नजर का बुखार होता है। लेकिन, कई बार ये बुखार अपने पीछे एक ऐसा बीमार छोड़ जाता है जो न सिर्फ अपने परिवार को बल्कि आसपास के पूरे समाज को संक्रमित कर देता है। फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर एजेंडा फिल्म होने के आरोप लगे हैं। आरोप लगा कि 30 हजार लड़कियों के धर्म परिवर्तन का आंकड़ा झूठा है। ये फिल्म कहानी चार युवतियों की है। तीन पाले के एक तरफ और चौथी दूसरी तरफ। लेकिन, अगर ये सच्ची कहानी किसी एक भारतीय युवती की भी है तो भी इसे दुनिया को दिखाया ही जाना चाहिए

व जिहाद की असल कार्यशैली का खुलासा

अरसे तक मुझे ‘लव जिहाद’ शब्द के प्रयोग पर गंभीर आपत्ति रही है। लेकिन, फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ सिरे से समझाती है कि इसे कैसे अंजाम दिया जाता है। फिल्म खत्म होने के बाद उन परिवारों के लोगों के असल इंटरव्यू दिखाए गए हैं, जिनके साथ ये सब वाकई हो चुका है। एक हंसते खेलते परिवार की युवती शालिनी जिसे अपनी संस्कृति, अपने परिवार, अपने रहन सहन और अपने आस पड़ोस से प्यार है। नर्स बनने के लिए वह नर्सिंग कॉलेज आती है। हॉस्टल में उसकी जिन युवतियों से दोस्ती है, उनमें से एक उसे एक ऐसे रास्ते पर ले जाने का तानाबाना बुनती है, जहां से वापसी की राह ही नहीं है। केरल से श्रीलंका, श्रीलंका से अफगानिस्तान और अफगानिस्तान से सीरिया का उसका सफर वहां आकर थमता है जहां उसके जैसी तमाम लड़कियां आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के कैंप में सिर्फ इसलिए जमा की गई हैं कि वे इन आतंकवादियों की देह की भूख मिटा सकें। कहानियां फिल्म में और भी हैं लेकिन जिस सिर्फ ये एक कहानी झकझोर देने के लिए काफी है।

भीतर तक सिहरा देने वाली कहानी।

फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ शुरू होते ही बताती है कि जिन युवतियों की कहानियों पर ये फिल्म बनी है, उनके घरवालों ने कैमरे पर अपनी आपबीती सुनाई है। शुरू शुरू में तो लगता है कि ये एक ऐसी फिल्म है जिसे किसी खास राजनीतिक उद्देश्य से ही बनाया गया है। लेकिन, जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, ये दर्शकों को अपने साथ जोड़ने लगती है। दिखावे के हमले, दिखावे की सहानुभूति और दिखावे के प्रेम से युवतियों को बरगलाया जाता है। इस्लाम के मायने तोड़ मरोड़कर समझाए जाते हैं। यहां तक कि हिंदू देवी देवताओं और ईसा मसीह के बारे में तमाम ऐसी बातें कही जाती हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि अगर यही बात किसी और धर्म के बारे में कही गई होती तो क्या उस धर्म के अनुयायी भी इतने ही सहिष्णु होकर ये फिल्म देखते रहते। जाकिर नायक जैसे धर्म प्रचारकों के हथकंडों का पर्दाफाश करती फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ खत्म होते होते एक ऐसी सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बन जाती है जिसे कहना हर कालखंड में जरूरी लगता है।

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