दिल्ली सरकार ने एक बार फिर आम आदमी को दिया झटका ।।

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देश में बढ़ती हुई  बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। आम आदमी पार्टी को आम आदमी पर बिल्कुल भी तरस नहीं आ रहा है इस तरीके के फैसले से आम आदमी की कमर टूट रही है आज जनता में हाहाकार मची हुई है जनता का कहना है कि हम कम पढ़े लिखे लोग हम कुछ कर नहीं सकते हम सालों से टैक्सी चला कर अपना गुजारा कर रहे थे अब हम क्या करेंगे कई लोगों ने यह भी कहा है कि अब हमारे पास मरने के अलावा कुछ नहीं बचा है जिस तरीके से दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इस तरीके के आदेश को जारी किया है। हमारे बच्चे भूखे मर जाएंगे हमें सिर्फ यही काम आता है हम कहां जाएंगे
दिल्ली सरकार ने 20 फरवरी को एक आदेश जारी किया, जिसमें लिखा था कि निजी बाइक का कॉमर्शियल यूज नहीं किया जा सकेगा, अगर कोई ऐसा करते पाया गया तो 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगेगा।

कोरोना ने काम छीना तो सरकार भी बेहरम हुई
​​​​​​बिना इन्वेस्टमेंट वाला काम था, कमाई भी अच्छी
कोरोना के दौरान जिनका काम छिन गया, घर में खड़ी बाइक उनके लिए रोजगार हो गई। बहुत से लोग जो कुछ और नहीं कर पा रहे थे और जिनके पास बाइक थी, उन्होंने बाइक राइड सर्विस देने वाले ऐप पर आईडी बनाई और ये काम शुरू कर दिया। इसमें कोई खर्च भी नहीं आया और रोज 5 सौ रुपए तक कमाई हो जाती।

बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध क्यों?

दरअसल, दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों में बाइक टैक्सी का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इसमें प्राइवेट नंबर यानी सफेद नंबर प्लेट वाली बाइक्स का ही कमर्शियल इस्तेमाल किया जा रहा है. इसी पर आपत्ति है.
दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्रालय के मुताबिक, प्राइवेट टू-व्हीलर्स का इस्तेमाल यात्रियों को लाने-ले जाने में किया जा रहा है और उससे कमाई की जा रही है, जो पूरी तरह से कमर्शियल है. ऐसा करना मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 का उल्लंघन है. 

सुरक्षा और नियमों ने रोकी बाइक टैक्सी की रफ्तार
दिल्ली में बाइक टैक्सी पर रोक लगाने के पीछे मुख्य रूप से लोगों की सुरक्षा और नियमों के पालन को सुनिश्चित करने का हवाला दिया जा रहा है। दिल्ली के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर आशीष कुंद्रा का कहना है कि टैक्सी सेवाओं के लिए जो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क है, उसमें ड्राइवरों के लिए कई तरह के दायित्वों का पालन करना अनिवार्य है। इसमें सेफ्टी नियमों का पालन करना, जेंडर सेसेंटाइजेशन जैसे कई नियम शामिल हैं। कुंद्रा ने कहा कि मोटर वीकल एक्ट के तहत प्राइवेट वीकल को टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है। दिल्ली में इसके लिए अलग से कोई रेगुलेटरी फ्रेमवर्क भी नहीं है, जो टूवीलर्स को टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत देता हो। इसी को ध्यान में रखते हुए जो डिजिटल प्लेटफॉर्म्स इस तरह की सेवाएं प्रदान कर रहे थे, उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए यह नोटिस जारी किया गया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, दिल्ली में बाइक टैक्सी की अनुमति नहीं है। “ऐप-आधारित एग्रीगेटर बाइक टैक्सी चला रहे हैं और ये बिना उचित परमिट के निजी बाइक वाले ड्राइवर हैं। वाणिज्यिक सेवा संचालित करने के लिए, किसी को व्यावसायिक परमिट लेने की आवश्यकता होती है और टैक्सियों में पीली प्लेट और पीएसवी बैज होना चाहिए जो वहां नहीं है। यहां मुख्य समस्या यह है कि आप नहीं जानते कि ड्राइवर कौन है, कोई विवरण नहीं है। कोई भी घटना हो सकती है और महिलाओं की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है इसलिए हमने भी एक अभियान शुरू किया है और प्रवर्तन टीमों द्वारा घेराबंदी की जा रही है।

सरकार ने विज्ञापन से पैसा कमाया।

सरकार ने विज्ञापन से पैसा कमाया, अब बैन लगा दिया’
दिल्ली का मानवाधिकार संगठन एम्पावरिंग ह्यूमैनिटी बाइक टैक्सी बैन का मुद्दा उठा रहा है। संस्था के डायरेक्टर हेमंत शर्मा कहते हैं, ‘कई लोगों ने हमसे संपर्क किया जो बाइक राइड कंपनियों के साथ काम करते हैं। दिल्ली सरकार के आदेश पर असमंजस की स्थिति है। कई लोग मानते हैं कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने ऐसा किया है, कुछ को लग रहा है कि दिल्ली सरकार ने खुद से ये आदेश जारी किया है।’

‘दिल्ली सरकार का कहना है कि उसे बाइक टैक्सी के बारे में अब पता चला है, इसके बाद ये आदेश निकाला गया है। सरकार के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि डीटीसी और दिल्ली मेट्रो जैसी सरकारी सर्विस में भी इनके विज्ञापन लगते थे। सरकार ने इन विज्ञापनों से पैसा कमाया है।’

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