दिल के दौरे की बढ़ती घटनाएं विश्व स्तर पर चिंता का कारण बनी हुई है पहले के मुताबिक आज के दौर में युवा आयु वर्ग में कार्डियक अरेस्ट और दिल का दौरा अधिक आम होता जा रहा है. पिछले 2 सालों में 18 और 20 साल के उम्र के लोगों में भी दिल का दौरा देखा गया है. आमतौर पर दिल का दौरा सुबह पड़ने की संभावना है अधिक होती है,लेकिन क्या यह तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति सो रहा हो.डॉक्टरों ने इस सवाल के जवाब में कहा कि सोते समय दिल का दौरा पड़ सकता है .
जरूरत से ज्यादा सोना या कम सोना
स्टडी कहती है कि अगर कोई 5 घंटे से कम सोता है तो उन्हें 7 घंटे सोने वालों की तुलना में हार्ट अटैक का खतरा 3 गुना ज्यादा होता है. जबकि 9 घंटे से ज्यादा नींद लेने वालों को 7 घंटे की नींद लेने वालों की तुलना में हार्ट अटैक का खतरा दोगुना ज्यादा होता है.
पुरुषों व महिलाओं दोनों में ज्यादा समय तक सोने से ट्राइग्लिसराड का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है. महिलाओं में इसकी वजह से कमर में मोटापा बढ़ जाता है, साथ ही रक्त शर्करा व अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर गिर जाता है.
जबकि आमतौर पर यह जाना जाता है कि दिल का दौरा सुबह जल्दी पड़ने की संभावना अधिक होती है, क्या ये तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति सो रहा हो?
नींद अच्छी नहीं तो बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा
नींद का सीधा रिश्ता दिल से है. एक मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अगर नींद अच्छी नहीं तो हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है. दरअसल अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के मेडिकल जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक जो लोग नींद की समस्या से जूझ रहे हैं उनको हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है. इस लिहाज से जरूरत से ज्यादा सोना या बेहद कम सोना दोनों ठीक नहीं. इसके अलावा लंबे नैप और कमजोर नींद खर्राटे लेना या स्लीप एपनिया जैसी समस्या दिल के लिए खतरा साबित हो सकती है.
चैन की नींद लेने वालों को नहीं आएगा हार्ट अटैक
स्टडी के मुताबिक जिन लोगों में नींद से जुड़ी जितनी ज्यादा समस्याएं होंगी, उसके लिए स्ट्रोक का खतरा उतना ही बड़ा होगा. स्टडी सिर्फ ये दावा करती है कि नींद की समस्या और दिल के बीच गहरा रिश्ता है. यानी जो चैन की नींद सोते हैं, उनकी तुलना में नींद की समस्या से जूझ रहे लोगों का दिल खतरे में हो सकता है. इस स्टडी में औसतन 62 साल के करीब साढ़े चार हजार लोगों को शामिल किया गया और उनके सोने के पैटर्न को समझा गया.
स्टडी बताती है कि ज्यादा हार्ट अटैक उन लोगों को हुआ जो पांच घंटे से कम सो रहे थे या फिर जो 9 घंटे से ज्यादा सो रहे थे. जबकि सामान्य सात घंटे की नींद सोने वालों में हार्ट अटैक का मामले कम देखे गए.
1 घंटे से ज्यादा नैप भी है खतरा
वैसे तो नैप को हेल्दी माना जाता है. लेकिन स्टडी के मुताबिक 1 घंटे से ज्यादा नैप लेने वालों में हार्ट अटैक का खतरा कहीं ज्यादा है. नींद के दौरान सांस से जुड़ी कई समस्याएं भी दिल के परेशानी की वजह बन सकती हैं. मसलन खर्राटे और स्लीप एपनिया. स्टडी बताती है कि खर्राटे लेने वालों और स्लीप एपनिया से जूझ रहे लोगों में स्ट्रोक की आशंका सबसे ज्यादा है. यानी सोते हुए जिनको सांस लेने में परेशानी आती है, वो खतरे की जद में है.
इसके अलावा डॉक्टर शिबाशीष डे ने सोते समय होने वाले दिल के दौरे के पीछे के विज्ञान को समझाया उन्होंने बताया कि जब हम सोते हैं तो हमारी सभी मांसपेशियां आराम करती है, जिसमें गर्दन और गले भी शामिल हैं अगर आपके गर्दन के पास बहुत ज्यादा टिशू है तो ये एयरवे के रास्ते पर प्रेशर डालता है, आप सही से खुलकर सांस नहीं ले पाते हैं, या तो इस वक्त आप खर्राटे लेते हैं या फिर सांस लेना बंद कर देते हैं, ऐसा होने से आप ऑक्सीजन से लगातार वंचित होते हैं और इससे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसा लगातार होता है तो आपको समस्या हो सकती है
स्लीप एपनिया वालों को हार्ट फेल्योर की शिकायत
सोते समय दिल का दौरा पड़ने का एक और संभावित कारण है क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनीय डिसऑर्डर. आमतौर पर आपका ब्लड प्रेशर रात में गिरता है, अगर आपको स्लीप एपनिया है तो आपका ब्लड प्रेशर गिर नहीं सकता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है. हर बार जब आपका ऑक्सीजन स्तर नीचे गिरता है तो यह आपके रक्तचाप को बढ़ाता है और एड्रेनालाईन की वृद्धि का कारण बनता है. इससे आपके हृदय पर तनाव बढ़ जाता है क्योंकि ब्लड प्रेशर को मेंटेन करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है और ऐसे में आप को दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती है.अमेरीकन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी में इसकी पुष्टि हुई है जिसमें कहा गया है कि हार्ट फेलियर वाले रोगियों में स्लीप एपनिया अक्सर देखा जाता है.