चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है, जो कि 30 मार्च तक मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के इन पावन दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा धरती पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामना को पूर्ण करती हैं। वहीं मां अंबे को प्रसन्न करने के लिए भक्त भी इन नौ दिनों में उपवास रखते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं।
प्राचीन काल में शक्ति और शिव की उपासना के लिए ऋषि मुनियों ने दिन की अपेक्षा रात्रि को ज्यादा महत्व दिया है. पुराणों के अनुसार रात्रि में कई तरह के अवरोध खत्म हो जाते हैं. रात्रि का समय शांत रहता है, इसमें ईश्वर से संपर्क साधना दिन की बजाय ज्यादा प्रभावशाली है. इन 9 रातों में देवी के 9 स्वरूप की आराधना से साधक अलग-अलग प्रकार की सिद्धियां प्राप्त करता है.
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना विधि
शास्त्रों में बताया गया है कि चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन साधक सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान कर लें और विधिवत पूजा आरंभ करें। नवरात्रि के नौ दिनों के लिए अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और कलश स्थापना के लिए सामग्री तैयार कर लें। कलश स्थापना के लिए एक मिट्टी के पात्र में या किसी शुद्ध थाली में मिट्टी और उसमें जौ के बीज दाल लें। इसके उपरांत तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उपरी भाग में मौली बांध लें।
इन बातो का रखे ध्यान।
-नवरात्रि व्रत में फलाहार के नाम पर लोग दिनभर कुछ न कुछ खाते रहते हैं। जबकि इस दौरान अधिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस दौरान फल के अलावा आप कुट्टू का प्रयोग कर सकते हैं। ध्यान रहे कि नमक का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।
-शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि का व्रत करने वाले लोगों को पलंग के बजाए जमीन पर सोना चाहिए। वहीं यदि आप जमीन पर नहीं सो सकते हैं, तो लकड़ी के तख्त पर सो सकते हैं।
-नवरात्रि व्रत करने वाले लोगों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। साथ ही व्रत करने वाले व्यक्ति को पूरे नौ दिन तक काम, क्रोध, लोभ और मोह से दूर रहना चाहिए।
-नवरात्रि व्रत करने वाले लोगों को झूठ बोलने से बचना चाहिए। हमेशा सत्य का पालन करना चाहिए। साथ ही व्रत में बार-बार जल पीने से बचना चाहिए। इसके अलावा गुटखा, तंबाकू आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
-नवरात्रि व्रत करने वाले जातक को नौ दिनों तक मां दुर्गा की उपासना करने के बाद अपने इष्टदेव का ध्यान जरूर लगाना चाहिए। वहीं जो लोग व्रत नहीं रखते हैं उन्हें भी इन नौ दिनों में मांस मदिरा आदि के सेवन से बचना चाहिए।