मलेरिया मच्छरों से होने वाली एक खतरनाक बीमारी है जिससे हर साल लाखों लोगों की जान जाती है। मलेरिया मादा मच्छर एनाफिलिस के काटने से होता है, ये मच्छर गंदे पानी में पनपते हैं। मलेरिया की गंभीरता के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 25 अप्रैल को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन को पहली बार साल 2008 में मनाया गया था।
विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास।
विश्व मलेरिया दिवस मनाने से पहले अफ्रीका में मलेरिया डे मनाया जाता रहा है, जिसे देखते हुए ही विश्व मलेरिया दिवस मनाने का फैसला लिया गया. साल 2007 में विश्व स्वास्थ्य सभा का 60 वां सेशन आयोजित हुआ था, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी कि डब्ल्यूएचओ ने ये प्रस्ताव रखा था कि अफ्रीका में मनने वाले मलेरिया दिवस को विश्व स्वास्थ्य मलेरिया दिवस में बदल दिया जाए. इसके बाद से साल 2008 से 25 अप्रैल का दिन विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
विश्व मलेरिया दिवस की थीम।
विश्व मलेरिया दिवस हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है. साल 2023 के लिए भी विश्व मलेरिया दिवस की एक अलग थीम तय कर दी गई है. इस साल विश्व मलेरिया दिवस की थीम रखी गई है ‘Ready To Combat Malaria’ यानी मलेरिया से लड़ने के लिए तैयार. इस थीम के पीछे का मकसद लोगों को मलेरिया से निपटने के लिए तैयार रहने के लिए जागरूक करना है।
मलेरिया इंसानों में कैसे फैसला है।
मलेरिया की बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है. यह मादा एनाफिलीज मच्छर के जरिए इंसानों के बीच फैसला है. आपको बता दें कि मलेरिया प्लाज्मोडियम विवेक्स नाम के वायरस के कारण होता है. जब मादा एनाफिलीज मच्छर की किसी संक्रमित व्यक्ति को काटती है तो इस वायरस का अंश मच्छर के शरीर में ट्रांसफर हो जाता है. इसके बाद जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो यह वायरस उन व्यक्ति के शरीर में ट्रांसफर हो जाता है. इसके बाद वह भी मलेरिया से संक्रमित हो जाता है. मलेरिया का सबसे बड़ा कारण है गंदगी. आसपास गंदगी होने के कारण वहां मच्छर पनपते हैं इसके बाद वह इंसानों को काटकर उन्हें मलेरिया से संक्रमित कर देते हैं।