एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सबसे बड़ा व्रत माना जाता है। विजय एकादशी फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. इस बार यह 16 और 17 फ़रवरी को आ रही है ऐसे में लोगो के बीच असमंजस देखने को मिल रहा है की आखिर किस दिन यह व्रत किया जाए।
दोनों दिन मनेगी विजया एकादशी
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 16 फरवरी को प्रातः 04 बजकर 02 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 17 फरवरी को रात्रि 01 बजकर 19 पर होगा। ऐसे में यह व्रत 16 फरवरी 2023, गुरुवार के दिन ही रखा जाएगा। गृहस्थ एवं वैष्णव संप्रदाय के लोग एकादशी व्रत एक ही दिन रखेंगे। गृहस्थ लोग व्रत पारण 17 जनवरी को सुबह 06 बजकर 31 से सुबह 08 बजकर 35 मिनट के बीच कर सकते हैं। वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग व्रत पारण 17 फरवरी को सुबह 06 बजकर 31 मिनट से सुबह 10 बजकर 17 मिनट के बीच कर सकते हैं।
विजया एकादशी की पूजन विधि
एकादशी तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान करें, इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पंच पल्लव को कलश में रखकर चतुर्भुज स्वरूप भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें और अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप, फल, फूल, तुलसी अर्पित करें। इसके बाद मिष्ठान अर्पित करें और घी के दीपक जलाएं। घी का दीपक जलाने के बाद एकादशी व्रत की कथा सुनें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इसके बाद तुलसी माला से ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करें।
विजया एकादशी का महत्व
विजया एकादशी व्रत के बारे में शास्त्रों में लिखा है कि यह व्रत करने से स्वर्णणदान,भूमि दान,अन्न दान और गौ दान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और अंततः उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि कोई आपसे शत्रुता रखता है तो विजया एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।