जानें कब है गंगा दशहरा। इस दिन बन रहे 3 अद्भुत योग।

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गंगा दशहरा का पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पवित्र गंगा के पृथ्वी पर आने के कारण वह पवित्र हो गई और उसे स्वर्ग का दर्जा प्राप्त हो गया। गंगा दशहरा दस दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो निर्जला एकादशी से एक दिन पहले शुरू होता है। हिंदू कैलेंडर 2023 के अनुसार, गंगा दशहरा का उत्सव ज्येष्ठ के महीने में शुक्ल पक्ष के दसवें दिन (दशमी तिथि) को होता है।

गंगा दशहरा 2023 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 29 मई 2023 सुबह 11:49 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 30 मई दोपहर 01:07 पर होगा। ऐसे में गंगा दशहरा पर्व 30 मई 2023, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन अत्यंत शुभ संयोग हस्त नक्षत्र और सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। बता दें कि हस्त नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक और सिद्धि योग 30 मई को रात्रि 08:55 तक रहेगा।

गंगा दशहरा महत्व।

गंगा दशहरा कर्म, वाणी और विचारों से संबंधित दस पापों को शुद्ध करने के लिए पवित्र गंगा की क्षमता को दर्शाता है। ऐसा माना जाता है कि जब भक्त इस दिन देवी गंगा की पूजा करते हैं तो उन्हें अपने वर्तमान और पिछले पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। यह निवेश करने, नई घर की संपत्ति, वाहन आदि खरीदने और नए घर में प्रवेश करने के लिए भी एक शुभ दिन माना जाता है।

शुभ संयोग

ज्योतिष विद्वानों बताते हैं कि गंगा दशहरा के दिन रवि योग और सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ इस दिन शुक्र ग्रह कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे धन योग का निर्माण होगा। गंगा दशहरा के दिन रवि योग पूरे दिन रहेगा। मान्यता है कि ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है, इसलिए ब्रह्म मुहूर्त का समय जानना जरूरी है। गंगा दशहरा के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:03 से सुबह 04:43 तक रहेगा।

गंगा दशहरा उपाय

धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा राजा भगीरथ के कठोर तपस्या करने के बाद स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं, इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है अगर आपकी आर्थिक तरक्की रुक गई है तो गंगा दशहरा के दिन आप गंगाजल को चांदी के पात्र में भरें और उसे अपने घर की उत्तर पूर्व दिशा में रख दें. इस उपाय और धन योग के प्रभाव से आपकी धन संबंधी हर समस्या का जल्द समाधान होगा. पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए गंगा दशहरा पर गंगा घाट के किनारे तर्पण करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

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