चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा। जानें पूजा विधि, मंत्र और उपाय।

maa

आज यानि के 25 मार्च को नवरात्रि का चौथा दिन है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है। मां दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है। मां कूष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली हैं। कहते हैं जब संसार में चारों ओर अंधियारा छाया था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। मां कूष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है। मान्यता है कि नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करने वालों को रोग और दोषों से मुक्ति मिलती है. कहते हैं मां कूष्मांडा जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे अष्ट सिद्धियां और निधियां प्राप्त हो जाती है।

कैसे करे पूजा।

नवरात्रि के चौथे दिन प्रातः स्नान आदि के बाद हरे रंग के वस्त्र पहने. इस दिन कुम्हड़े की बलि देकर माता को अर्पित करना चाहिए. कुम्हड़ा वो फल है जिससे पेठा बनता है. माता को मेहंदी, चंदन, हरी चूड़ी, चढ़ाएं. देवी कूष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ है. लंबे वक्त से अगर कोई घर में बीमार है या आए दिन बीमारियों का डेरा रहता है तो माता कूष्मांडा के बीज मंत्र का 108 बार जाप या देवी कवच का पाठ करें।

नवरात्रि के चौथे दिन मा कूष्मांडा की पूजा करें. उन्हें भोजन में दही और हलवा का भोग लगाएं. इसके बाद उन्हें फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करे , इससे मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं।

मां कूष्मांडा के उपाय

जानकारों के अनुसार देवी के इस स्वरूप की उपासना से कुंडली में बुध ग्रह से संबंधित दोष दूर किए जा सकते हैं. मां कूष्मांडा की पूजा वाले दिन बुध के अशुभ प्रभाव से पीड़ित व्यक्ति के उम्र जितनी हरि इलाइची लें और फिर एक-एक कर ये इलाइची मां के चरणों में चढ़ाते जाएं. इस दौरान ये मंत्र बोलें “ॐ बुं बुधाय नमः”. अगले दिन सारी इलाइची को एकत्र करके हरे कपड़े में बांधकर सुरक्षित रख लें. मान्यता है इससे वाणी और बुद्धि में निखार आता है और स्वास्थ लाभ मिलता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Home
Google_News_icon
Google News
Facebook
Join
Scroll to Top