उत्तराखंड चार धाम 2023 यात्रा शुरू हो चुकी है। अक्षय तृतीय के दिन 22 अप्रैल को गंगोत्री-यमुनोत्री धामों के कपाट खोले गए। युवाओं में बाइक से चार धाम में जाने का क्रेज भी बढ़ रहा है।
बदरीनाथ-केदारनाथ, गगोत्री सहित चारों धामों पर जाने वाले तीर्थ यात्री धामों में ‘दर्शन’ के बाद ‘एडवेंचर’ का भी मजा ले सकते हैं। युवाओं में खासा क्रेज बढ़ रहा है। उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ों के नजारे के साथ-साथ ही पौराणिक स्थलों, और लोकल इलाकों में आसानी से घूम सकते हैं
पहले जहां ऋषिकेश से सड़क मार्ग से चारधाम यात्रा पूरी करने में कम से कम 7 दिन (रोज 7-8 घंटे का सफर) लगते थे, इस बार 6 दिन (रोज 7 घंटे यात्रा) में यात्रा पूरी हो सकती है, क्योंकि 85% रास्ता सुगम हो चुका है। हालांकि, रुकते-रुकाते यात्रा का इरादा है तो 9 से 10 दिन लगेंगे। ज्यादातर श्रद्धालु ऋषिकेश के भद्रकाली तिराहे से चारधाम यात्रा शुरू करते हैं। यहां चेकपोस्ट पर रजिस्ट्रेशन ID और गाड़ी का ग्रीन कार्ड आदि चेक कराना होगा। दूसरा चेकपोस्ट ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाइवे पर ब्रह्मपुरी में है। प्रशासन की हरी झंडी के बाद सफर शुरू कर सकते हैं।
गंगोत्री।
भद्रकाली तिराहे से गंगोत्री की 264 किमी लंबी यात्रा शुरू करते हैं। 2 बजे चंबा में एक छोटी सी टनल हिमालय रेंज से मुलाकात कराती है। तलहटी में टिहरी झील मनमोहक है। साइड में रुककर नजारा देख सकते हैं। उत्तरकाशी तक ऑल वेदर रोड की डबल लेन है। गंगोत्री की 100 किमी की दूरी साढ़े तीन से चार घंटे में कर सकते हैं। गंगोत्री से 25 किमी पहले गांव हर्षिल में रुक सकते हैं।
यमुनोत्री।
गंगोत्री से यमुनोत्री के लिए 150 किमी दूर उत्तरकाशी के धरासूबैंड आना होगा। यहां से 102 किमी लंबे जानकीचट्टी मार्ग को पकड़ना होगा। जानकीचट्टी से यमुनोत्री के लिए 6 किमी का जोखिम भरा ट्रैक है। कई
जगह खड़ी चढ़ाई है। खच्चर और पालकी की सुविधा है।
बद्रीनाथ।
यमुनोत्री से बद्रीनाथ के लिए वापस धरासूबैंड आएंगे। 150 किमी दूर रुद्रप्रयाग जाएंगे। फिर जोशीमठ और वहां से बद्रीनाथ जाएंगे। असली परीक्षा जोशीमठ से 20 किमी दूर पांडुकेश्वर के बाद होगी। यहां पुल का काम बाकी है। जगह-जगह चौड़ीकरण जारी है। कई जगह रास्ता संकरा है। जाम लग सकते हैं। पांडुकेश्वर या बद्रीनाथ परिसर के अंदर रुक सकते हैं। बद्रीनाथ में 25 हजार लोग रुक सकते हैं। एक दिन में 15 हजार लोग ही दर्शन के लिए आ सकेंगे। गाड़ियां नहीं आएंगी।
केदारनाथ।
बद्रीनाथ से रुद्रप्रयाग आएं। यहां से केदारनाथ 90 किमी है। कई जगह चौड़ीकरण जारी है। गुप्तकाशी से पहले 10 किमी लंबा कच्चा मार्ग है। 40% से अधिक हिस्सा सिंगल लेन है। कुछ पुराना है। कई जगह पत्थर गिरने का खतरा है। जाम से बचना बड़ी चुनौती है। वाहन या बस से सोनप्रयाग तक पहुंच सकते हैं। यहां से गौरीकुंड के लिए स्थानीय टैक्सी लेनी होगी। गौरीकुंड से 17 किमी लंबे दुर्गम ट्रैक पर 8 फीट ऊंचा बर्फ का गलियारा है।
हेलीकॉप्टर से 1.8 लाख रुपए में 4 दिन और 5 रातों में यात्रा।
चारधाम यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर सेवा बढ़ रही है। 5-6 कंपनियां 18-20 हेलीकॉप्टर चला रही हैं। हरिद्वार से यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ होते हुए बद्रीनाथ की यात्रा 4 दिन और 5 रातों में पूरी होती है। एक हेलीकॉप्टर में 6 लोग जाते हैं। आपका वजन 75 किलो से ज्यादा है तो प्रति किलो 1000 रु. अतिरिक्त लगेंगे। दो साल से छोटे बच्चों का कोई चार्ज नहीं। कंपनी देहरादून स्टेशन या एयरपोर्ट से पिक करेगी।