गो फर्स्ट आर्थिक तंगी से झुझी।बंद की कगार पर खड़ी फ्लाइट

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गो फर्स्ट की माली हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है। एयरलाइन के पास विमान में तेल भराने के लिए भी पैसा नहीं बचा है। बार-बार आ रही दिक्कतों के कारण कंपनी के आधे से अधिक विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। इस कारण उसका कैश फ्लो बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

कैश की तंगी से जूझ रही एयरलाइन गो फर्स्ट दिवालिया हो सकती है। उसने अगले 2 दिन यानी 3 और 4 मई के लिए फ्लाइट सस्पेंड कर दी है। तेल कंपनियों के बकाए का भुगतान नहीं कर पाने के चलते एयरलाइंस ने ये फैसला किया है।

आधे विमान खड़े हैं।

इस बीच एयरलाइन ने विमानों का इंजन बनाने वाली कंपनी Pratt & Whitney के खिलाफ अमेरिका की एक अदालत में मुकदमा किया है। इससे पहले 30 जून को एक फैसला गो फर्स्ट के पक्ष में आया था। इसमें कहा गया है कि अगर एयरलाइन को इंजन नहीं मिले तो वह बंद हो जाएगी। गो फर्स्ट ने इस फैसले को लागू करवाने के लिए अमेरिकी कोर्ट में केस किया है। 31 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक गो फर्स्ट के पास 30 विमान ऑपरेट नहीं कर पा रहे हैं। इनमें नौ ऐसे विमान भी हैं जिनके लीज पेमेंट का भुगतान किया जाना है। कंपनी के वेबसाइट के मुताबिक उसके बेड़े में 61 विमान हैं। इनमें 56 ए320 नियो और पांच ए320सीइओ हैं। कंपनी के ऐसे समय में पैसेंजर रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है जब महामारी के बाद एयर ट्रैफिक तेजी से बढ़ रहा है। एयरलाइन की योजना इन गर्मियों में हर हफ्ते 1538 फ्लाइट्स ऑपरेट करने की है जो पिछले साल के मुकाबले 40 कम है। यह सीजन 26 मार्च से शुरू हो चुका है और 28 अक्टूबर तक चलेगा

गो फर्स्ट कैश एंड कैरी मोड में अपनी फ्लाइट ऑपरेट करती है। यानी एयरलाइंस को हर दिन के हिसाब से जितनी उड़ान भरनी है उसके मुताबिक फ्यूल के लिए पेमेंट करना पड़ता है।

DGCA ने 24 घंटे में मांगा जवाब।

गो फर्स्ट एयरलाइन के इस फैसले के बाद DGCA ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है और 24 घंटे के भीतर एयरलाइंस जवाब मांगा है। वहीं एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि सरकार हर संभव तरीके से एयरलाइन की मदद कर रही है और स्टेकहोल्डर्स से भी बात की है।

दिवाला समाधान कार्यवाही के लिए भी आवेदन
एयरलाइन ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) दिल्ली के पास स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यवाही के लिए एक आवेदन भी दायर किया है। एयरलाइन चीफ कौशिक खोना ने कहा- इंजनों की सप्लाई नहीं होने के कारण एयरलाइन ने 28 विमानों को ग्राउंडेड कर दिया।

इससे फंड की किल्लत हो गई और दिवाला कार्यवाही के लिए जाना पड़ा। ये एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है, लेकिन कंपनी के हितों की रक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है। एयरलाइन ने इस घटनाक्रम के बारे में सरकार को सूचित कर दिया है और वह डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) को एक डिटेल्ड रिपोर्ट भी सौंपेगी।

गो फर्स्ट कैश एंड कैरी मोड में अपनी फ्लाइट ऑपरेट करती है। यानी एयरलाइंस को हर दिन के हिसाब से जितनी उड़ान भरनी है उसके मुताबिक फ्यूल के लिए पेमेंट करना पड़ता है।

गो फर्स्ट ने जुलाई 2022 में पहली बार अपने विमानों को ग्राउंड किया था। उसके बाद से कंपनी के मार्केट शेयर में लगातार गिरावट आ रही है। फरवरी में यह आठ परसेंट रह गया था जब 963,000 पैसेंजर्स ने उसके विमानों में उड़ान भरी थी। पिछले साल मई में कंपनी का मार्केट शेयर 11.1 फीसदी था। तब 12.7 लाख यात्रियों ने गो फर्स्ट के विमानों में उड़ान भरी थी। पैसेंजर्स की संख्या में कमी से कंपनी के फाइनेंशियल पर भारी असर पड़ा है। फाइनेंशियल ईयर 2022 में कंपनी को 21.8 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ था। इससे पिछले साल यह घाटा 10.5 करोड़ डॉलर था।

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