बांग्लादेश में बड़े प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया है, जो कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से घर में नजरबंद थीं। शहाबुद्दीन ने संसद को भंग करने के बाद एक अंतरिम सरकार का गठन करने का भी ऐलान किया है।

कौन हैं खालिदा जिया?
खालिदा जिया बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष हैं और शेख हसीना की अवामी लीग की धुर विरोधी हैं। वह 1991 में बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं और 2001 से 2006 तक फिर से प्रधानमंत्री रहीं। उनके शासनकाल के दौरान, बांग्लादेश में कई हिंदू विरोधी और ईसाई विरोधी दंगे हुए . खालिदा जिया का राजनीतिक जीवन विवादों से भरा रहा है. उन पर भ्रष्टाचार और दुर्भावना के कई आरोप लगे हैं . 2018 में, उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया गया और पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई. इसके बाद उन्हें गृह निरोध में रखा गया था .

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन
खालिदा जिया के खिलाफ भ्रष्टाचार और अन्य कानूनी मामले जिन्होंने उनके गृह निरोध को मजबूर किया लेकिन अब खालिदा जिया कई सालों के गृह निरोध के बाद रिहा हई. , बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया और संसद भंग करने के बाद अंतरिम सरकार का गठन किया.

खालिदा जिया और शेख हसीना
शेख हसीना और खालिदा जिया के बीच की प्रतिद्वंद्विता बांग्लादेश की राजनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। दोनों महिलाएं बांग्लादेश की सबसे प्रमुख राजनीतिक नेता हैं और देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों – अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का नेतृत्व करती हैं.शेख हसीना अवामी लीग की अध्यक्ष हैं और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। वह देश की सबसे लोकप्रिय नेता मानी जाती हैं और अपनी सामाजिक और आर्थिक नीतियों के लिए जानी जाती हैं।
खालिदा जिया बीएनपी की अध्यक्ष हैं और बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। वह अपनी कट्टरपंथी नीतियों और धार्मिक मुद्दों पर अपने रुख के लिए जानी जाती हैं.लेकिन शेख हसीना के इस्तीफा ने बांग्लादेश की राजनीति को प्रभावित किया है और देश में राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति बनी हुई है.
माना जा रहा है कि बांग्लादेश में अगर खालिदा जिया की सरकार आई तो मुस्लिम कट्टरपंथी गतिविधियों बढ़ जाएंगी और वहां पर रह रही माइनॉरिटीज को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है