अब तक सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान हो चुकी है हजार से ज्यादा लोगों की मौत
इस बार हज यात्रा के दौरान हजार से अधिक लोग अपनी जान गवा चुके है और इसका कारण पड रही भीषण गर्मी, बीमारी तथा भीड़ के द्वारा कुचले जाना है. मरने वाले श्रद्धालुओं में आधे से ज्यादा लोग पंजीकृत नहीं थे. एएफपी के दौरान हर साल होने वाली तीर्थयात्रा के दौरान 1081 मौतें होने की खबर 10 देशों ने दी है. जिन्हें नियम के अनुसार सऊदी अरब में ही दफनाया जा रहा है.

मरने वाले श्रद्धालुओं में कुछ भारतीय लोग भी शामिल
सऊदी अरब के एएफपी ने बताया गया कि उन्हें अब के किसी व्यक्ति के द्वारा जानकारी मिली है कि मरने वाले श्रद्धालुओं में 68 भारतीय नागरिक भी शामिल है पर उसे व्यक्ति ने अपना नाम किसी के भी सामने न बताने की शर्त रखी. उसे व्यक्ति का अनुमान है कि कुछ भारतीय श्रद्धालुओं की मौत का करण प्राकृतिक है, तो कुछ लोगों की मौत गर्मी के कारण हुई है. उसे व्यक्ति ने बताया कि मरने वालों में बहुत से बुजुर्ग तीर्थ यात्री भी शामिल थे.
हर मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार हज अवश्य करनी चाहिए क्योंकि इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हज है. यही कारण है कि इतनी भीषण गर्मी पड़ने के बाद भी इतनी भारी मात्रा में श्रद्धालु हज करने के लिए सऊदी अरब जाते हैं.
गर्मी से जल रहा मक्का
इस बार मक्का में सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया जो की 51.8 डिग्री सेल्सियस (125 फ़ारेनहाइट) था. दरअसल हिंदुओं की तरह इस्लाम भी कैलेंडर के अनुसार अपनी तिथि तय करता है इसी वजह से चंद्र इस्लामी कैलेंडर (Lunar Islamic calendar) के अनुसार हज का समय इस साल भी पिछली साल की तरह भीषण गर्मी में पड़ा. जिसकी वजह से भारी मात्रा में हज करने के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की मौत का कारण भीषण गर्मी बताया जा रहा है.
सऊदी अरब में नहीं दी सही से जानकारी
सऊदी अरब ने सही से ना बताते हुए रविवार को कहा था कि गर्मी की वजह से 2800 से अधिक लोग अपनी जान गवा चुके है. गुरुवार को सऊदी की एएफपी के द्वारा की गई रिपोर्टिंग के अनुसार मरने वाले नए व्यक्तियों में मिस्त्र के 58 लोग शामिल है. और अभी तक पता चला है कि मिश्रा से आए तीर्थ यात्रियों में से 90% से ज्यादा गैर पंजीकृत लोग शामिल थे.
शवों को सऊदी अरब में ही दफनाया जाएगा
सऊदी अरब में यह कानून है कि अगर किसी व्यक्ति की मौत हज यात्रा के दौरान होती है तो उन्हें सऊदी अरब में ही दफनाया जाता है. उसके पार्थिव शरीर को उसके देश में नहीं भेजा जाता. हज यात्रा शुरू होने से पहले ही उनसे एक पेपर पर साइन कर दिया जाता है जिस पर लिखा होता है कि अगर हज यात्रा के दौरान उनकी सऊदी अरब की जमीन या आसमान पर मौत हो जाती है तो उन्हें यहीं पर दफना दिया जाएगा. यात्री के शरीर को उनके परिजनों को नहीं सोपा जाएगा और ना ही उनके परिवार की कोई आपत्ति इस विषय को लेकर स्वीकार की जाएगी.