आज की व्यस्तताओं से भरी जीवनशैली ने कई मनोवैज्ञानिक बीमारियों को जन्म दिया है. उन्ही में से एक डिप्रेशन है। अत्यधिक तनाव और चिंता से इंसान डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। कई बार इंसान इतना तनाव में होता है की उसे पता भी नहीं होता की वह डिप्रेशन का शिकार है।
क्या है डिप्रेशन ?
एक ऐसी अवस्था है जब व्यक्ति का मन और दिमाग नैगिटिविटी, चिंता, तनाव और उदासी से घिर जाता है । इस अवस्था में व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो जाती है। जब डिप्रेशन सबसे खराब स्थिति पर पहुंच जाता है, तब यह आत्महत्या का कारण बन है। हर साल आत्महत्या की वजह से लगभग 80 हजार लोग मर जाते हैं।यह जानकर हैरानी होती है कि आत्महत्या 15 से 29 वर्षीय बच्चों में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है और जाने-अनजाने लगभग 76 से 85 प्रतिशत लोग इसके शिकार हो जाते हैं ।
क्या है डिप्रेशन के लक्षण ?
-ऊर्जा में कमी
-नींद न आना या अत्यधिक नींद आना
-एकाग्रता में कमी
-दिन भर उदासी रहना
-लगभग हर दिन थकावट और कमजोरी महसूस करना।
-बार–बार मृत्यु या आत्महत्या के विचार आना।
-बैचैनी या आलस्य महसूस होना।
-अचानक से वजन बढ़ना या कम होना।
डिप्रेशन के हो सकते है साइड इफेक्ट्स।
डिप्रेशन के बारे में ऐसी धारणा बनी हुई है कि यह केवल मन से जुड़ी बीमारी है पर बहुत ही कम लोगों को यह मालूम है कि हमारे शरीर के विभिन्न अंगोंं पर भी इसका नेगेटिव असर पड़ता है। आइए जानते हैं यह मनोवैज्ञानिक समस्या शरीर के किन हिस्सों को प्रभावित करती है।
दिल के लिए घातक है डेप्रेशन
तनाव या चिंता होने पर व्यक्ति के शरीर में सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है। इससे हमारे शरीर में नॉरपिनेफ्राइन नामक हॉर्मोन का स्त्राव बढ़ जाता है जिसके प्रभाव से व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। ऐसे में दिल तेजी से धड़कने लगता है, हार्ट ब्लड वेसेल्स सिकुड़ जाती हैं, ब्लड सर्कुलेशन तेज हो जाता है, जिससे हार्ट पर प्रेशर बढ़ता है, व्यक्ति को पसीना और चक्कर आने लगता है। इससे हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है।
लिवर पर होता है असर
तनाव और चिंता की स्थिति में लिवर में ग्लूकोज़ का सिक्रीशन बढ़ जाता है। इसके अलावा कॉर्टिसोल हॉर्मोन शरीर में फैट की मात्रा को भी बढ़ा देता है। इसी वजह से डिप्रेशन में कुछ लोग मोटे हो जाते हैं, तो कुछ के शरीर में शुगर का लेवल बढ़ जाता है।
असमय बुढ़ापा
एक्सपर्ट्स के मुताबिक चिंता के दौरान शरीर से कुछ ऐसे हॉर्मोन्स का सिक्रीशन होता है, जो धीरे-धीरे दांतों को कमजोर कर देते हैं। त्वचा, आंखों, बालों पर भी डिप्रेशन का असर बहुत जल्दी नजर आता है क्योंकि ऐसी अवस्था में लोग अपने खानपान पर ध्यान नहीं देते, जिससे उनका पेट साफ नहीं रहता, जिससे बालों का झड़ना, सफेद होना, आंखें कमजोर होना और त्वचा पर जल्दी झुर्रियां पड़ना, एड़ियों का फटना जैसी समस्याएं परेशान करने लगती है।