कर्मचारी संघ नाराज।शिवराज सरकार के लिए परेशानी का सबब!!

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चुनावी साल में प्रदेश के कर्मचारियों की नाराजगी शिवराज सरकार के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। प्रदेश में इसी साल विधानसभा और फिर अगले साल लोकसभा के चुनाव होने है। ऐसे में कर्मचारी संगठनों की नाराजगी दूर करना प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। परंतु इसमें लगातार आश्वासनों के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होने से संगठनों ने लगातार नाराजगी बढ़ती ही जा रही है।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारी संगठन शुरू कर सकते हैं आंदोलन मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले निर्णय लेने का दबाव बनाने की कर रहे हैं कोशिश।पर सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया हैं।

प्रदेश में करीब सात साल पहले मई 2016 से पदोन्नति पर रोक लगी है। करीब 35 हजार कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति से ठीक पहले पदोन्नति मिलनी थी। वे इसके बिना ही सेवानिवृत्त हो गए। अब आरक्षित और अनारक्षित दोनों वर्ग के कर्मचारी चाहते हैं कि पदोन्नति शुरू हो जाए, भले ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अधीन ही हो

 पुरानी पेंशन व पदोन्नति नहीं देने और सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति देने से मध्य प्रदेश के 50 से अधिक बड़े कर्मचारी संगठन नाराज हैं। वे राज्य सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। कर्मचारी साफ कर चुके हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने इस संबंध में निर्णय नहीं लिया, तो वे माफ नहीं करेंगे। यानी इसका असर विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। बता दें कि प्रदेश में नियमित, संविदा, स्थायीकर्मी, निगम-मंडल मिलाकर 18 लाख से अधिक कर्मचारी हैं।

मध्य प्रदेश में मई 2016 से पदोन्नति पर रोक लगी है। करीब 35 हजार कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति से ठीक पहले पदोन्नति मिलनी थी। वे इसके बिना ही सेवानिवृत्त हो गए। अब आरक्षित और अनारक्षित दोनों वर्ग के कर्मचारी चाहते हैं कि पदोन्नति शुरू हो जाए, भले ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अधीन ही हो। वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और विभिन्न विभागों के मंत्रियों को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं, पर किसी के भी स्तर पर पदोन्नति शुरू करने की पहल नहीं हुई है।

पुरानी पेंशन बहाली को लेकर एक साथ कर्मचारी

कर्मचारियों की दूसरी बड़ी मांग पुरानी पेंशन बहाली है। इसे लेकर प्रदेश के 22 कर्मचारी संगठन एक साथ खड़े हैं। पांच फरवरी को भोपाल में इसे लेकर महासम्मेलन भी हो चुका है। मई-जून में कर्मचारी एक बार फिर एकत्र होंगे और सरकार को अपनी चेतावनी याद दिलाएंगे। कर्मचारी सभी विभागों में खाली पदों को लेकर भी नाराज हैं, वे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति देने के खिलाफ हैं और कई बार अपनी बात सरकार के सामने रख चुके हैं। उनकी मांग है कि युवाओं को मौका देंगे, तो कर्मचारियों की आने वाली पीढ़ी तैयार होगी।

कांग्रेस योजना को लेकर चमका रही राजनीति।

पुरानी पेंशन को लेकर जारी सियासत के बीच सदन के बाहर कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो हम इस पर पुरानी पेंशन लागू करेंगे। बुधवार को कांग्रेस विधायक सज्जन वर्मा ने प्रश्नकाल में जानना चाहा कि वर्ष 2004 में प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था। पुरानी पेंशन योजना को प्रदेश में दोबारा लागू किया जाएगा या नहीं? प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की कोई योजना नहीं है और न ही इस प्रकार की कोई योजना शासन स्तर पर विचाराधीन है। इस पर वर्मा ने कहा कि प्रदेश में पांच लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। एक लाख कर्मचारी वर्तमान में पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उन कर्मचारियों की बातें नहीं सुन रही है। कर्मचारी हितैषी सरकार होने का दावा करने वाली यह सरकार कर्मचारियों के साथ दोहरा व्यवहार कर रही है।

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