इंटरनेट ने हमारे जीवन को कई मायनों में बदलकर रख दिया है. इसने हमारे जीवन स्तर को ऊंचा कर दिया है और कई कार्यों को बहुत सरल-सुलभ बना दिया है. सूचना, मनोरंजन और ज्ञान के इस अथाह भंडार से जहां सहूलियतों में इजाफा हुआ है तो वहीं इसकी लत भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. फिलहाल देश और दुनिया की एक बड़ी आबादी इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के साइबर एडिक्शन का शिकार हो चुकी है.
भारत सरकार और प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा न्यू पलासिया स्थित ओम शांति भवन में डिजिटल डिटाक्स विषय पर परिचर्चा हुई। इसमें मुंबई से आए प्रोफेसर ईवी गिरीश ने महत्वपूर्ण जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि इंटरनेट व सोशल मीडिया के एडिक्शन व अनियंत्रित दुरुपयोग हो रहा है। स्वतंत्रता जीवन को सही मायने में सार्थकता प्रदान करती है। सच में अगर मुझे पता है कि मुझे क्या करना है? क्या सोचना है? कैसा व्यवहार करना है? बिना किसी व्यक्ति, परिस्थिति, बात के दबाव व प्रभाव में आकर तो यह मेरी अपनी आजादी है। इसके विपरीत मेरी खुशी किसी वस्तु अथवा परिस्थिति पर आधारित है तो फिर इस प्रकार की अधीनता को एडिक्शन कहा जाता है।
हमारी खुशी दूसरों पर आश्रित ना होकर खुद से उत्पन्न होने वाली एक आंतरिक घटना है। स्वतंत्रता का मतलब मेरी चाइस मेरे हाथ में है। जैसे हम शरीर को भोजन खिलाते हैं वैसे ही मेडिटेशन के द्वारा हम अपनी आत्मा को एंपावर करते हैं। आत्मा का भोजन सुख, शांति, आनंद है जो उस परमपिता परमात्मा से जुड़ने से प्राप्त होता है लेकिन आज हर कोई अच्छी नौकरी, गाड़ी, मकान आदि सुख के लिए चाहता है परन्तु सुख और सुविधा में महान अंतर की दृष्टि हमें इस स्पिरिचुअल्टी द्वारा प्राप्त होती है। हावर्ड की रिसर्च में पाया गया है कोई प्रयास या कार्य खुशी के लिए ना किया जाए बल्कि खुश रह कर किया जाए तो सफलता सुनिश्चित है।
आपने डिजिटल डिटाक्स को समझाते हुए कहा कि यह मोबाइल मनुष्य की बुद्धि की उपज है लेकिन, मजे की बात यह है कि मनुष्य की चेतना मोबाइल के अंदर फंस गई है। मतलब क्रिएटर, अपनी क्रिएशन का गुलाम हो चुका है। युवाओं को मोबाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया से संबंधित ऐसे चौंकाने वाले वैश्विक आंकड़े दिए जो आज हमारी समस्याओं का प्रमुख कारण है। इंटरनेट का बहुत अधिक इस्तेमाल हमारे मस्तिष्क की संरचना को प्रभावित कर रहा है जो मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। इसका सीधा नकारात्मक प्रभाव हमारे सोचने-समझने की शक्ति व कार्य-कुशलता पर पड़ रहा है। आज आवश्यकता है कि हम अपने जीवन के महत्व को जाने मेडिटेशन के द्वारा अपने मन को फोकस करना सीखें।