बिहार के राजनेता आनंद मोहन की जेल से समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है। याचिका पर 8 मई को सुनवाई होगी। बिहार की जेल नियमावली में संशोधन के बाद आनंद मोहन को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था। हत्या के मामले में उसे 14 साल की कैद हुई थी।
वोट बैंक की राजनीती के कहते किया रहा – पत्नी उमा
जी कृष्णैया की पत्नी उमा सदमे में हैं। वह कहती हैं- ऐसा वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है। वह रिहाई को खुद के साथ अन्याय बताती हैं। पहले दोषी को फांसी की सजा हुई थी, फिर उसे उम्रकैद में बदल दिया गया। अब सरकार उसकी रिहाई करा रही है। ये बिल्कुल सही नहीं है।
बेटी ने भी जताई नाराजगी।
आनंद मोहन की रिहाई पर DM जी कृष्णैया की बेटी पद्मा ने नाराजगी जताई है। हैदराबाद में उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को अपने इस फैसले पर दोबारा सोनचा चाहिए। सरकार ने एक गलत उदाहरण पेश किया है। ये सिर्फ एक परिवार के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि देश के साथ अन्याय है। उनकी बेटी ने रिहाई के खिलाफ अपील करने की भी बात कही है।
जी. कृष्णैया की पीट-पीटकर कर दी थी हत्या।
तेलंगाना के रहने वाले जी. कृष्णैया की 1994 में भीड़ ने उस वक्त पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, जब उनके वाहन ने मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा से आगे निकलने की कोशिश की थी। उस वक्त आनंद मोहन विधायक थे और वो शवयात्रा में शामिल हुए थे। आरोप है कि आनंद मोहन ने भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद भीड़ ने पीट-पीटकर डीएम की हत्या कर दी थी।
IAS एसोसिएशन भी विरोध में उतरा।
गोपालगंज के DM जी कृष्णैया की हत्या में बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई से बिहार की ब्यूरोक्रेसी में खलबली है। IAS एसोसिएशन भी विरोध में उतर आया है। IAS एसोसिएशन ने सरकार से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है। उनका कहना है कि ऐसे फैसलों से अधिकारियों का मनोबल टूटेगा।