सावन सोमवार के विशेष अवसर पर, उज्जैन के मंदिर में एक अद्वितीय आत्मसंग्रह की भावना महसूस होती है। पवित्र सावन के महीने में सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है और मंदिर के पट प्रात: 2.30 बजे ही खोल दिए जाते हैं, जिससे कि भक्तों को अद्वितीय साधना का आनंद मिल सके। इस विशेष दिन पर, लाखों श्रद्धालु भक्त उपस्थित होते हैं और इस पवित्र स्थल पर भगवान की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति का आशा करते हैं। आज भी लाखों श्रद्धालु इस पवित्र स्थल पर आने की उम्मीद रखते हैं, जिनकी उपस्थिति से स्थल की महिमा और विशेषता को और भी विशेष बनाती है।

इस विशेष मौके पर, शाम को 4 बजे भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है, जिसका दर्शन करने के लिए भक्त उत्सुकता से उपस्थित होते हैं। इसी तरह, सावन मास में उज्जैन में लाखों लोगों का आगमन होता है, जिनकी आस्था और श्रद्धा इस पवित्र स्थल को और भी प्रेरित करती है। इस पावन पर्व के दौरान, रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने भगवान महाकाल के दर्शन किए, जो एक अद्वितीय और आध्यात्मिक अनुभव की ओर एक कदम बढ़ाते हैं। सावन के पांचवें सोमवार पर, भक्तों की उम्मीदें और इच्छाएं इतनी अधिक होती हैं कि वे आधी रात से ही लंबी कतारों में खड़े हो जाते हैं, ताकि वे अपने प्रिय भगवान के दर्शन कर सकें। इस अनूठे पर्व के माध्यम से, लोग अपने आध्यात्मिक और धार्मिक आकांक्षाओं को प्रकट करते हैं और भगवान की आराधना में एकाग्र होते हैं।
आज 7 अगस्त, जिसे सावन मास के पांचवें सोमवार के रूप में जाना जा रहा है, उसका उत्सव उज्जैन के महाकाल मंदिर में उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। यहां हर तरफ महाकाल के भक्तों के जयकारे गूंज रहे हैं, जो इस खास मौके पर उनके दर्शन और पूजा के लिए एकत्र हुए हैं। पिछले रात से ही मंदिर के प्रांगण में भक्तों की लंबी कतारें खड़ी हैं, जिनमें देशभर से आए भक्त शामिल हैं। सुबह 2.30 बजे, सावन सोमवार के पर्व की शुरुआत हुई, और मंदिर के पट खुलते ही भक्तों ने उनके प्रिय भोले बाबा का उत्साहपूर्ण जयकारा देना शुरू किया।
प्रात:काल में सबसे पहले महाकाल की भस्म आरती की गई, जिसके बाद पंचामृत से उनका अभिषेक किया गया। महाकाल के श्रीमुख पर भांग अर्पित की गई और उनका विशेष श्रृंगार किया गया। इसके साथ ही, भस्मारती के बाद भक्तों को महाकाल के दर्शन का आनंद लेने का अवसर मिला, जो रात के पौने ग्यारह बजे तक जारी रहेगा। यह उत्सव महाकाल के भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है और उनके श्रद्धा और उत्साह का प्रतीक है, जिससे वे अपने आदर्श देवता के साथ जुड़ सकते हैं।

इस बार के रविवार को महाकाल मंदिर में एक अद्वितीय गुंजाइश थी। नहीं केवल भक्तों की भीड़ बल्कि उनके आत्मा में भी एक अद्वितीय ऊर्जा थी, जैसे कि सबका मन और ध्यान महाकाल की ओर मग्न हो गया हो। दर्शन की प्रतीक्षा में खरीदी गई बनारसी साड़ियों और पूजा सामग्री की दुकानों की भीड़ भी नगर की गलियों में बसी थी। महाकाल के दर्शन के लिए आए भक्तों की आंखों में विश्वास और प्यार की बुनाई हुई थी, जैसे कि हर दिल में महाकाल की विशेष जगह हो। इस उत्कृष्ट पर्व के दिन, न सिर्फ महाकाल के मंदिर की महत्वपूर्णता बल्कि उसके श्रद्धालुओं की अद्वितीय भावनाओं का भी सम्मान किया गया। इस अद्वितीय परिदृश्य में महाकाल के भक्त एक साथ आये और एक-दूसरे के साथ आत्मीयता का आनंद लिया, जो एक सामान्य दिन में नहीं मिल सकता। महाकाल के इस महापर्व ने न सिर्फ धार्मिक महत्व को प्रकट किया, बल्कि मानवता के अदृश्य बंधनों को भी तोड़कर एकता और प्रेम की महत्वपूर्णीयता को परिलक्षित किया।