आज 27 मार्च को चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है. आज मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा करते हैं. मां कात्यायनी साहस और पराक्रम प्रदान करती हैं। इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा चक्र’ में स्थित होता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है।
मां कात्यायनी पूजा मुहूर्त।
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 27 मार्च सोमवार को शाम 05 बजकर 27 मिनट तक है। आज आयुष्मान योग प्रात:काल से देर रात 11 बजकर 20 मिनट तक है, उसके बाद से सौभाग्य योग शुरू होगा। आज सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है. रवि योग सुबह 06 बजकर 18 मिनट से दोपहर 03 बजकर 27 मिनट तक है. अमृत सिद्धि योग योग दोपहर 03:27 बजे से कल सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक है।
मां कात्यायनी का स्वरूप।
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है और इनका वर्ण चमकीला है। मां कात्यायनी की सवारी सिंह है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिस कारण इन्हें चतुर्भुज देवी भी कहा जाता है। मां कात्यायनी ने अपनी प्रत्येक भुजा में तलवार, कमल, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण की है। इनकी पूजा करने से रोग-शोक, कष्ट और भय दूर होते हैं और जन्मों के संताप दूर हो जाते हैं. साथ ही इनकी पूजा से शीघ्र विवाह के योग भी बनते हैं।
पूजाविधि।
दुर्गा पूजा के छठे दिन भी सर्वप्रथम कलश व देवी के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा कि जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में सुगन्धित पुष्प लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान करना चाहिए। मां को श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करें। मां कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन मां को भोग में शहद अर्पित करें। देवी की पूजा के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए।
पूजा फल।
देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है। इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है। मां कात्यायिनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम,मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। उसके रोग,शोक, संताप और भय आदि सर्वथा नष्ट हो जाते हैं।