हिन्दू धर्म में होली के ठीक पहले 8 दिन के होलाष्टक होते है। 27 फरवरी से शुरू होकर 7 मार्च तक चलेंगे। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के साथ समाप्त होंगे। पंचांग के अनुसार, होलाष्टक के दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कामों को करने की मनाही होती है।
ज्योतिषियों का कहना है कि होलाष्टक की इस अवधि में पांच राशि के जातकों को बहुत संभलकर रहना होगा।
मिथुन
होलाष्टक की अवधि में मिथुन राशि के जातकों को बहुत सावधान रहना होगा. आपको बेवजह का तनाव घेर सकता है. लोगों के साथ वाद-विवाद या अनबन हो सकती है. कार्य-व्यापार में विशेष रूप से सावधानी बरतनी होगी. रिश्तों में समस्याएं आ सकती हैं. खर्चों में वृद्धि हो सकती है. आय के साधनों पर बुरा असर पड़ सकता है।
कर्क
कर्क राशि वालों को घरेलू समस्याओं से बचकर रहना होगा. भूमि-भवन से जुड़े विवाद आपकी परेशानी का बड़ा कारण बन सकते हैं. पैतृक संपत्ति को लेकर दिक्कतें हो सकती हैं. बने-बनाए काम बिगड़ने का खतरा रहेगा. कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले शुभचिंतकों की राय अवश्य लें।
वृश्चिक
खर्चों पर अकुंश न बढ़ाने से आपकी आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है. बेवजह की चीजों पर धन बिल्कुल खर्च न करें. जरूरी कार्यों में जल्दबाजी से बचना होगा. बहस या विवाद में पड़ने से बचें. इस अवधि में किसी भी बड़े निवेश से पहले शुभचिंतिकों की सलाह अवश्य लें. नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी समय अनुकूल नहीं है. गृह प्रवेश, भवन निर्माण की शुरुआत, मुंडन, हवन या महंगी वस्तुओं की खरीदारी बिल्कुल न करें.
मकर
होलाष्टक की अवधि में मकर राशि के जातकों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. रिश्तों में तनाव आने की संभावना है. जरूरी कार्यों में अड़चन अनुभव कर सकते हैं. सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतनी होगी. स्वास्थ्य सलाहों की अनदेखी से बचें.
कुंभ
होलाष्टक के दौरान कुंभ राशि के जातकों को आलस्य और अभिमान से बचना होगा. किसी भी काम को कल पर टालने की आदत आपके लिए बड़े नुकसान का कारण बन सकती है। अपने सभी कार्य समय पर पूरा करने का प्रयास करें।