सूर्य का किसी राशि में प्रवेश संक्रांति कहलाता है. जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मीन संक्रांति कहा जाता है. मीन राशि बृहस्पति की जलीय राशि है और इसमें सूर्य का प्रवेश विशेष परिणाम पैदा करता है. बीमारियां और रोग बढ़ते हैं. लोगों के मन में खूब सारी चंचलता आ जाती है. इस समय ज्योतिषीय कारणों से शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं इसलिए इसे मीन मलमास या खरमास भी कहा जाता है.इस वर्ष मार्च में खरमास 15 मार्च 2023 को लगेगा. इस दिन प्रात 06 बजकर 33 मिनट पर सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे. 15 मार्च 2023 से 14 अप्रैल 2023 की दोपहर 02:59 तक खरमास रहेगा.
खरमास का मतलब।
खर शब्द, संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है गधा। खरमास से संबंधित प्रचलित मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि एक बार सूर्य देव सात घोड़ों के रथ पर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे और उन्हें कहीं भी रुकने की अनुमति नहीं थी। कहा जाता है कि अगर वह रुक जाते तो उसी दिन सारी गतिविधियां बंद हो जातीं। कुछ समय बाद, आराम न मिलने के कारण रथ से जुड़े घोड़े प्यासे और थक गए। यह देखकर सूर्य देव ने तनाव में आकर रथ को नदी के तट पर खड़ा कर दिया ताकि घोड़े अपनी प्यास बुझा सकें और थोड़ा आराम कर सकें।
खरमास में क्या करना चाहिए।
खरमास के दौरान भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा निभाई गई है। ऐसा माना जाता है कि पूजा करने से व्यक्ति को शांति और समृद्धि प्राप्त होती है और मां लक्ष्मी की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा यह महीना दान, जप आदि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से दान करता है, उसके जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
खरमास में नवरात्री।
इस बार नवरात्रि का प्रारंभ खरमास में हो रहा है. चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से प्रारंभ हो रही है. खरमास मीन की संक्रांति 15 मार्च दिन बुधवार प्रातः 06: 33 से 14अप्रैल 2023 की दोपहर 02:59 तक रहेगी इसी बीच में चैत्र नवरात्रि की पूजा पाठ कलश स्थापना 22 मार्च दिन बुधवार को सुबह से ही प्रारंभ हो जाएंगे इस दिन कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की आराधना प्रारंभ होगी.
ये काम रहेंगे वर्जित।
कोई मांगलिक कार्य करते हैं तो उसके फलित होने के लिए गुरु का प्रबल होना जरूरी है. धनु एवं मीन बृहस्पति ग्रह की राशियां हैं. खरमास के समय सूर्य इन दोनों राशियों में होते हैं, इसलिए शुभ कार्य नहीं होते. खरमास में गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए बिजनेस का प्रारंभ, शादी, सगाई, वधू प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए।