महावीर जयंती का यह महोत्सव या यह कहें कि एक ऐसा पर्व जिसे छोटे से छोटा बच्चा बड़े, बुजुर्ग व्यक्ति इस पर्व का इंतजार करते हैं। और बड़े धूमधाम और उत्साह पूर्वक से इसे मनाते हैं। महावीर जयंती के पर्व को आने से 4 दिन पहले मंदिरों में कार्यक्रम शुरू होते हैं ।महिलाएं नृत्य करती है भजन गाती है विशेष पूजा होती है महावीर भगवान का यह जन्मोत्सव जीवन के कण कण में उपासना और आराधना को भर देता है।
महावीर जयंती जैनियों द्वारा भगवान महावीर की जयंती के रूप में मनाई जाती है. यह दिन जैन धर्म के24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मदिन है. इसे जैन धर्म के
लोगों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. इस पर्व को लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं. भगवान महावीर को वर्धमान के नाम से भी जाना जाता है और उनके द्वारा ही जैन धर्म के मूल सिद्धांत स्थापित किए गए थे इस वर्ष यह तिथि 3 अप्रैल 2023 को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी जो 4 अप्रैल 2023 को सुबह 8 बजकर 5 मिनट
पर समाप्त होगी
. क्या हैं जैन धर्म के मूल सिद्धांत.
महावीर जयंती का पर्व जैन धर्म के संस्थापक को समर्पित है. उन्होंने अपने जीवनकाल में अहिंसा और आध्यात्मिक स्वतंत्रता का प्रचार किया और मनुष्य को सभी जीवित प्राणियों का आदर और सम्मान करना सिखाया. उनके द्वारा दी गई सभी शिक्षाओं और मूल्यों ने जैन धर्म नामक धर्म का प्रचार किया. उन्होंने सत्य और अहिंसा जैसी विशेष शिक्षाओं के माध्यम से दुनिया को सही रास्ता दिखाने का प्रयास किया. उन्होंने अपने अनेक प्रवचनों से मनुष्यों का सही मार्गदर्शन किया..
भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत बताए, जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं, यह सिद्धांत हैं- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह है
MAHAVIR JAYANTI इतिहास
भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व वैशाली गणराज्य के क्षत्रिय कुण्डलपुर में राजा सिद्धार्थ और उनकी पत्नी रानी त्रिशला के गर्भ से हुआ था. वर्तमान युग में कुंडलपुर बिहार के वैशाली जिले में स्थित है. भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था जिसका अर्थ होता है बढ़ना. भगवान महावीर का जन्म उस युग में हुआ था जब हिंसा, पशुबलि, जातिगत भेदभाव आदि जोरों पर थे। भगवान महावीर ने 30 वर्ष की आयु में सांसारिक मोह और राजसी वैभव का त्याग कर स्वयं के कल्याण और विश्व के कल्याण के लिए सन्यास ले लिया था. जैन धर्म की मान्यता है कि 12 साल के कठोर मौन तप के बाद भगवान महावीर ने अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली ती, निडर, सहनशील और अहिंसक होने के कारण उनका नाम महावीर पड़ा. 72 साल की उम्र में उन्हें पावापुरी से मोक्ष प्राप्ति हुई.
केसे मनाते हैं महावीर जयंती।
इस दिन जैन मंदिरों में भगवान महावीर का अभिषेक, विशेष पूजा-अर्चना व लाडूं चढ़ाया जाता है और इसके बाद अलग-अलग शहरों में भगवान महावीर स्वामी (Mahavir Swami) की शोभायात्रा निकाली जाती है.
महावीर जयंती के दिन जैन धर्म के लोग प्रभातफेरी, अनुष्ठान, शोभायात्रा निकाली जाती हैं। और फिर महावीर जी की मूर्ति का सोने और चांदी के कलश से जलाभिषेक किया जाता है. इस दौरान जैन संप्रदाय के गुरु भगवान महावीर के उपदेश बताते हैं और उनपर चलने की सीख दी जाती है
इंदौर जैन समाज के वरिष्ठ जैन वर्ग क्या कहता हैं सुनिए।।
*भगवान महावीर के 2549 वे जन्म कल्याणक पर *
विशाल अहिंसा( संकल्प ) वाहन रेली इंदौर में निकली जाएंगी। समय – सुबह 8:30 बजे स्वल्पाहार,नवकारसी
संकल्प रेली प्रारंभ की जाएंगी
सुबह 9:30 बजे प्रारभ होकर 11:00 समापन ड्रेस कोड मै महिलाएँ केसरिया साड़ी ,पुरूष श्वेत वस्त्र धारण करेंगे।
नकुल रतन पाटोदी ने जैन समाज को दिया संदेश।
नकुल पाटोदी अपने शब्दो में कहते हैं की
आओ हम सब मिलकर जैन एकता का इतिहास रचे
*सच तो यह है कि आज युवा एक नहीं हुए, आगे नहीं आए, वर्तमान परिस्थिति में जितने सिर उतनी ताक़त नहीं दिखाई तो हमारे तीर्थ पर्यटन स्थल ही घोषित नहीं होगे बल्कि………नाम भी बदल दिए जाएँगे।
हम गिरनार की बात नहीं करते
हम बद्रीनाथ की भी बात नही करते
लेकिन कल राणकपुर, पालीताणा……..,,,
हम कोर्ट से जीतने के बाद भी गोमटगिरी की दीवार नहीं बना पा रहे है……..सिर्फ़ एकता के साथ संख्या बल की कमी के कारण , अब हमें आना होगा हम दो हमारे तीन पर।
*हम भगवान महावीर जन्म कल्याणक भी सरकारी छुट्टी के भरोसे मना रहे है , इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है। *
*कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता हम महावीर जन्म कल्याणक *
तीन को मनाएँ या चार कोफ़र्क़ पड़ रहा है समग्र जैन समाज की एकता पर, और सार्वजनिक छवि पर
शिखर जी के मुद्दे को किस तरह से डिजाल्व किया गया यह सब हमनें अपनी फटी आँखों से देखा है ,
जबकि हम चाहते थे शिखर जी को पर्यटन नहीं पवित्र तीर्थ स्थल घोषित किया जाए। यही हमारे आदिवासी बंधु भी चाहते है। खैर वक्त इगो का नहीं है हम भगवान महावीर के शासन काल में आओ हम सब मिलकर श्रमण संस्कृति की रक्षा का संकल्प लें।
तीर्थों को पर्यटन स्थल घोषित करने का विरोध करें।
मंदिर निर्माण के साथ अब अपने आसपास शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में प्रमुखता से निर्माण हो यही संकल्प लें
सभी जैन अपने नाम के बाद गोत्र की जगह जैन लगाएं ऐसा आप स्वयं करें और बाकी को भी जानकारी दें।
समाज की कन्या समाज में विवाह करें, इसका जन जागरण करे