अशोक गहलोत से सचिन पायलट का मनमुटाव एक बार फिर दिखा

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राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का मनमुटाव एकबार फिर से खुलकर सामने आ गया है. हालांकि, राजस्थान में कांग्रेस सरकार के अंदर ये मनमुटाव पिछले तीन साल से जारी है.

राजस्थान में सियासी सरगर्मी तेज है। इसी बीच कांग्रेस के बीच जारी अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने मंगलवार को अशोक गहलोत पर निशाना साधा। सचिन पायलट ने कहा, ‘मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का धौलपुर का भाषण सुना, उसे सुनकर ऐसा लगता है कि उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं, वसुंधरा राजे हैं।

सचिन पायलट ने कहा, ‘एक तरफ यह कहा जा रहा है कि हमारी सरकार को गिराने का काम भाजपा कर रही थी, दूसरी तरफ कहा जाता है कि हमें बचाने का काम वसुंधरा राजे कर रही थी।’ इस बयान में काफी विरोधाभाष है। आप कहना क्या चाहते हैं, आपको स्पष्ट करना चाहिए। पायलट ने कहा कि मुझ पर कई तरह के आरोप लगाए गए। मुझे निकम्मा, गद्दार और न जाने क्या-क्या बोला गया।

हम राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन चाहते ।

साल 2020 में हुई बगावत का जिक्र कर सचिन ने पायलट ने कहा, ‘हम सरकार में नेतृत्व परिवर्तन चाहते थे। हमने अपनी बातों को पार्टी हाईकमान के सामने रखा। कई दौर की बैठक के बाद एक कमेटी बनाई गई। जिसमें एक रोडमैप तैयार किया गया। इसके बाद हम सभी लोगों ने कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पूरी मेहनत से काम किया। ढाई साल का ये कार्यकाल हुआ, उसमें अनुशासन तोड़ने का कोई काम हमारे द्वारा नहीं किया गया।

दिल्ली में क्या बोले पायलट।

पायलट ने कहा- मैं दिल्ली गया, अपनी बात का रखी. सारे तथ्यों को देखते हुए सोनिया गांधी ने 25 सितंबर को विधायकों से बात करने के लिए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा था लेकिन वह विधायकों की बैठक हो ही नहीं पाई. सोनिया गांधी तब हमारी पार्टी की अध्यक्ष थीं. उनकी जो अवहेलना हुई, उनकी जो मानहानि हुई, उनकी जो बेइज्जती हुई, वो गद्दारी थी.

उन्होंने कहा कि इतने सारे विधायकों को उनकी इच्छा के खिलाफ इस्तीफा दिलवाया गया. अपनी सरकार को संकट में खड़ किया गया. बहुत से लोग कहते है कि मोदी और शाह के कहने पर ये इस्तीफे दिलवाए गए. अब अगर ये बात कोई मुझे कहे और मैं मंच पर जाकर बोलूं तो क्या ये शोभा देता है?  अब तक जो हुआ, वह यह दिखाता है कि अनुशासनहीनता किसने की, पार्टी का डिसिपिलिन किसने तोड़ा, और सही मायने में संगठन और सरकार को कौन मजबूत और कौन कमजोर कर रहा है. 

तो मेरे खिलाफ दर्ज करना चाहिए था केस।

पायलट ने कहा कि मेरे खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कराने का प्रयास किया. मेरे खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए. इसके बाद मैं दिल्ली गया. अपनी बात रखी. अगर मैं और कांग्रेस के कुछ विधायकों ने सरकार के खिलाफ साजिश रची और उनके पास इसके सबूत हैं तो उनको सार्वजनिक करना चाहिए था. इसके बाद हमारे खिलाफ केस दर्ज कर लेते, लेकिन सबूतों को सार्वजनिक नहीं किया

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