जैन धर्म के जाने-माने परम पूज्य आचार्य गुरुवर 108विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में धर्म की प्रभावना हो रही है धर्म की भक्ति के रस में डूबे सभी श्रद्धालु आचार्य श्री के दर्शन पाने के लिए हमेशा उत्साहित रहते हैं। 82 की उम्र में भी आचार्य श्री का तप और त्याग भगवान के प्रति उनका प्रेम और लगाओ देखने के लायक है। बुजुर्ग अवस्था में भी आचार्य श्री ने जिस तरीके से अपने शरीर के पंच इंद्रियों को नियंत्रित कर रखा है। मुनि की आहार चर्या को देखें या उनके पैदल चलने के उस मार्ग को देखें जहां पर वह धर्म की प्रभावना फैला रहे हैं ।यह अद्भुत और चमत्कारी है। आचार्य श्री पावन नगरी अमरकंटक में भी पंचकल्याणक महोत्सव करवा रहे हैं।
आचार्यश्री के सानिध्य में अब तक 65 पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव हो चुके हैं। उनमें सागर का भाग्योदय तीर्थ परिसर ऐसा है, जहां सर्वाधिक 5 पंचकल्याणक एक ही भूमि पर हुए हैं। पंचकल्याणक नेमावर में 15 से 21 जून तक हुआ। था आचार्यश्री के सानिध्य में लगभग 50 से ज्यादा समाधि हो चुकी हैं। आचार्य श्री के सानिध्य में कम से कम हजार मुनि दीक्षा ले चुके हैं। आचार्य श्री के पावन सानिध्य में अधिकाधिक शाय भी बहुत सारी संपन्न हुई।
पवित्र नगरी अमरकंटक में शनिवार को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के सानिध्य में 1008 श्री मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव का शुभरंभ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत देव आज्ञा, गुरु आज्ञा, प्रतिष्ठाचार्य निमंत्रण के साथ हुई। इसके बाद आचार्य श्री जी का पूजन अर्चन व आशीर्वचन हुए। इस आयोजन में देश के कई राज्यों से हजारों की संख्या में जैन समाज के श्रद्धालु हिस्सा लेने के लिए पहुंच चुके हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर के संघस्थ निर्यापक मुनि श्री प्रसाद सागर ने कहा कि सफल जीवन का एक मात्र सूत्र है आपका मित्रतापूर्ण व्यवहार,दोस्ताना अंदाज सुखी जीवन का आगाज। आपने कहा कि जब आर है तो पार है,वो उस पार है तो बीच में मंझधार है और खेवटिया कुशल हो तो बेड़ा पार है।कुशल खेवटिया मंझधार में भंवर से भी नैया पार लगा देता है।
देव शास्त्र और गुरू ही हमारे खेवटिया हैं
ये हमारा पुण्य हैकि इस युग में आचार्य श्री विद्यासागर का सानिध्य हमें प्राप्त है जो अंधेरे को दूर करने के लिये प्रकाशपुंज हैं। मुनिश्री प्रसाद सागर महाराज ने कहा कि अमरकंटक त्रिवेणी का उद्गम है और त्रिवेणी का संगम भी,बहुत ही विशेष स्थल है अमरकंटक।आचार्य श्री विद्यासागर ने जिनालयों में ग्यारह मंजिलों का सहस्रकूट बनाने का कार्यारम्भ हुआ है।अमरकंटक में सहस्रकूट में भी 1008 जिनबिम्बों की भी प्रतिष्ठा होने जा रही है। आपने कहा कि जो कुछ है वो आज है कल का क्या भरोसा,समय पर समय को पहचानिये।अमरकंटक में शनिवार से दो अप्रैल तक पाषाण से भगवान बनने की प्रक्रिया हम सब देखेंगे। आपने पुनः स्मरण कराया कि तलवार की नोंक पर किसी को प्रभावित नहीं कर सकते दोस्ताना अंदाज ही आपको सफल बनाता है।
सर्वोदय तीर्थ पंचकल्याणक समिति के प्रचार प्रमुख वेदचन्द जैन ने बताया कि दोपहर एक बजे विशाल घटयात्रा तीन बजे ध्वजारोहण मंडप शुद्धि, आचार्य श्री के प्रवचन, सात बजे संध्या महाआरती, आठ बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा।रात नौ बजे इंद्राणियों को आगामी धार्मिक अनुष्ठान के विधि क्रियायों और संयम के आचरण का प्रशिक्षण, अभ्यास प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी विनय भैया के निर्देशन में होगा। अमरकंटक में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा और गजरथ महोत्सव में शामिल होने के लिएदेश के कोने कोने से जैन धर्मावलंबी अमरकंटक हजारों की संख्या में पहुंच चुके हैं। यहां के मेला ग्राउंड में बने विशाल पंडाल में आयोजन की सारी प्रक्रियाएं संपन्न होगी।इनकी सुविधा के लिये अनूपपुर ,पेण्ड्रारोड, बुढ़ार,शहडोल और बिलासपुर से निःशुल्क बस सेवा स्थानीय समाज द्वारा दी जा रही है।