अनुसूचित वर्ग को मनाने के लिए भाजपा महापुरुषों का सहारा ले रही!!

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पांच राज्यों में उभरते चुनावी रुझान संकेत देते हैं कि भारत की राजनीति में निर्णायक दक्षिणपंथी बदलाव को और पुख्ता किया गया है। रुक-रुक कर होने वाली कुछ हार को छोड़ दें तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है। वास्तव में, हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी ने उन प्रांतों में काफी प्रगति की है जहां 2014 से पहले इसकी नगण्य उपस्थिति थी।
तो अब सरकार अनुचित जाती वर्ग को साधने के कोशिश में लगी हैं।।

शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष डा़ देवेंद्र शर्मा का कहना है कि महाकुंभ के माध्यम से संविधान निर्माता डा़ भीमराव आंबेडकर के प्रति वोटों के लिए प्रेम जता रही है। बाबा साहेब के संविधान को लेकर भाजपा की नीति क्या है, किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही भाजपा अनुसूचित वर्ग को आगे बढ़ाने की बजाय पीछे धकेलने का कार्य कर रही है। रविवार को सुबह नौ बजे बाबा साहेब की प्रतिमा के सामने धरना देकर भाजपा की अनुसूचित वर्ग विरोधी नीतियों को उजागर करेगी।

डा़ भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली की बजाय इस बार प्रदेश सरकार के अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के तत्वावधान में आंबेडकर महाकुंभ का आयोजन ग्वालियर के मेला ग्राउंड में किया जा रहा है। महाकुंभ में ग्वालियर-चंबल अंचल के एक लाख के लगभग अनुसूचित वर्ग को जोड़ने का दावा किया जा रहा है। इस वर्ग को लाने ले जाने से लेकर इनकी खातिरदारी के पूरे इंतजाम प्रदेश सरकार ने किए हैं। स्पष्ट है कि एट्रोसिटी एक्ट के बाद छिटके अनुसूचित वर्ग को मनाने के लिए भाजपा महापुरुषों का सहारा ले रही है

आंबेडकर जयंती से पहले भाजपा ने पिछड़े वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नारायण सिंह कुशवाह के नेतृत्व में महात्मा ज्योतिबा फुले की जंयती पर चल समारोह निकाला, इससे पहले संत रविदास जयंती पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश सरकार की विकास यात्रा का श्रीगणेश भिंड से किया। भाजपा इस महाकुंभ के माध्यम से अनुसूचित वर्ग को साधने का पूरा प्रयास करेगी। अनुसूचित वर्ग की नाराजगी का सामना कर चुकी है भाजपा: 2018 के विधानसभा चुनाव में गलतफहमी भाजपा पर भारी पड़ गई थी, क्योंकि 2013 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित वर्ग भी उसके साथ था।

एट्रोसिटी एक्ट की हिंसा के बाद अनुसूचित वर्ग के बदले तेवरों को भाजपा भांप नहीं पाई। जिस कारण भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में अंचल से बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। 2013 के विधानसभा चुनाव में अंचल की 34 सीटों में से 20 सीटों पर भाजपा का कब्जा था, जबकि कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं। एट्रोसिटी एक्ट की िहंसा के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में अंचल की तस्वीर ही बदल गई। भाजपा 20 सीटों से सिमटकर सात सीटों पर रह गई और कांग्रेस 12 से बढ़कर 26 पर पहुंच गई।

प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि हर वर्ग का भाजपा को समर्थन प्राप्त है, क्योंकि पं दीनदयाल उपाध्याय व संविधान निर्माता डा़ आंबेडकर की नीतियों पर चलकर सबका साथ और सबका विकास के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आगे बढ़ रहे हैं। हर वर्ग के कल्याण के लिए जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। इन्हीं योजनाओं को अनुसूचित वर्ग तक पहुंचाने के लिए इस महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है।

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