अफगानिस्तान में, कई लड़कियाँ 15 साल की उम्र में माँ बन जाती हैं, जो इस देश की सामाजिक धारा को दर्शाता है।
इसका मुख्य कारण पारंपरिक मान्यताएँ हैं, जहाँ परिवार जल्दी शादी को प्राथमिकता देते हैं, ताकि लड़कियाँ जल्दी से जिम्मेदारियाँ संभाल सकें।
बचपन में मातृत्व, लड़कियों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर बुरा असर डालता है, क्योंकि वे इसकी तैयारी में तैयार नहीं होतीं।
जल्दी विवाह के चलते, शिक्षा का अवसर भी कम मिलता है, जिससे लड़कियाँ अपने सपनों को पूरा नहीं कर पातीं।
अफगान समाज में, मातृत्व को सामान्य माना जाता है, जिसकी वजह से लड़कियाँ शिक्षित होने से वंचित रहती हैं।
इस प्रक्रिया में, कई लड़कियों को गर्भधारण के स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती, जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा होता है।
कम उम्र में गर्भधारण से मातृत्व मृत्यु दर भी बढ़ जाती है, क्योंकि युवा लड़कियाँ इस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं होतीं।
अन्य देशों की तुलना में, अफगानिस्तान में मातृत्व की उम्र बहुत कम है, और यह गंभीर समस्याओं को उजागर करता है।
इस समस्या के समाधान के लिए, कई संगठन लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम कर रहे हैं।
समाज को बदलने के लिए सभी वर्गों को सहयोग करने की आवश्यकता है, ताकि मातृत्व की उम्र को बढ़ाया जा सके।