कार खरीदते समय कंपनियां छुपाती हैं ये बातें जानिए डिटेल्स
कंपनियां फ्यूल एफिशिएंसी के आदर्श आंकड़े बताती हैं, जबकि असली माइलेज रियल-वर्ल्ड कंडीशंस में कम होता है।
मेंटेनेंस कॉस्ट के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी जाती, जिससे ग्राहकों को भारी खर्चों का सामना करना पड़ स
कता है।
हर मॉडल के स्पेयर पार्ट्स आसानी से उपलब्ध नहीं होते, जिससे सर्विसिंग का खर्च और समय बढ़ सकता है।
सेफ्टी फीचर्स की जानकारी दी जाती है, लेकिन यह नहीं बताया जाता कि कौन से फीचर्स जरूरी हैं और कौन
से सिर्फ दिखावे के लिए हैं।
वारंटी के बारे में सही जानकारी नहीं दी जाती, जिससे बाद में छुपे हुए खर्चे सामने आ सकते हैं।
कुछ कार मॉडल्स की रिसेल वैल्यू कम होती है, जिससे कार बेचते समय कम पैसे मिल सकते हैं।
कंपनियां सिर्फ एक्स-शोरूम प्राइस बताती हैं, जबकि ऑन-रोड प्राइस में और भी चार्जेस जुड
़ते हैं।
नए फीचर्स की असली उपयोगिता के बारे में कम जानकारी दी जाती है।
इंश्योरेंस प्लान्स में भी छुपे हुए खर्च हो सकते हैं, जिनकी जा
नकारी नहीं दी जाती।