Postpartum Depression: डिलीवरी के पश्चात्, हार्मोनल परिवर्तनों के कारण नवीन माताएँ एक अद्भुत परिवर्तन का सामना करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे तनाव और डिप्रेशन की अनुभूति कर सकती हैं, जिसे आयुर्विज्ञान में ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ कहा जाता है। हालांकि, अब इस समस्या का नवाचारिक इलाज उपलब्ध हो रहा है। अमेरिकी खाद्य और दवा प्रशासन (FDA) ने पोस्टपार्टम डिप्रेशन के इलाज के लिए ‘जुरानोलोन’ नामक दवा को मंजूरी दी है।
यह दवा अमेरिका में पोस्टपार्टम डिप्रेशन के इलाज में पहली चरण में प्रयुक्त की जाएगी। यह महत्वपूर्ण है कि बच्चे की पैदाइश के बाद हर सात महिलाओं में से एक को पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। एफडीए के अनुसार, ‘जुरानोलोन’ नामक इस टैबलेट को 14 दिनों की कोर्स के रूप में रोजाना एक बार खाना होगा। पोस्टपार्टम जैसी मानसिक दिमागी स्थितियों के इलाज में ‘जुरानोलोन’ दवा की मंजूरी से इलाज प्रक्रिया को सहज और सामर्थ्यपूर्ण बनाने का आश्वासन है।
क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन
एक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक चिंताजनक स्थिति हो सकती है, जिसमें महिलाएं उदासी और नकारात्मक विचारों के बारे में सोचने लगती हैं, जैसे कि वे अपने मातृत्व की भूमिका में असमर्थ हैं। यह डिप्रेशन विशेष रूप से गंभीर हो सकता है जब किसी महिला के मन में अपने बच्चे को हानि पहुंचाने के विचार आते हैं। ऐसे में, मां और बच्चे के रिश्तों पर भी दुष्प्रभाव पड़ सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस परिस्थिति से जूझ रही महिलाओं के लिए ओरल पिल्स एक फायदेमंद विकल्प हो सकता है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं।

ऐसे करें बचाव
योग और ध्यान: योग और ध्यान का अभ्यास करना मां को तनाव से मुक्ति दिलाता है। योगासन और प्राणायाम मां के मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकते हैं और डिप्रेशन को दूर करने में सहायक हो सकते हैं।
सहायता और समर्थन: नई मां को अपने आस-पास के लोगों के समर्थन और सहायता की आवश्यकता होती है। परिवार और दोस्तों का साथ उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से समर्थन कर सकता है और उन्हें आत्म-संवाद करने का मौका दे सकता है।
स्वस्थ आहार और पर्याप्त नींद: उचित और पौष्टिक आहार लेना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही पर्याप्त नींद लेना भी आवश्यक है ताकि मां का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहे।
साकारात्मक विचारशीलता: मां को अपनी भावनाओं और विचारों को साझा करने और अपने अनुभवों को समझने का मौका देना बहुत महत्वपूर्ण है। सकारात्मक विचारशीलता उन्हें स्वयं को समझने और समस्याओं का समाधान करने की क्षमता प्रदान कर सकती है।
नियमित शारीरिक गतिविधियाँ: नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों का अभ्यास करना मां के शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है और उन्हें ताजगी और ऊर्जा का अनुभव करने में मदद कर सकता है।
इन उपायों का पालन करने से पोस्टपार्टम डिप्रेशन के जोखिम को कम किया जा सकता है। हालांकि, यदि किसी महिला को गंभीर डिप्रेशन के लक्षण होते हैं, तो उसे तुरंत एक चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।