नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार ने बुधवार को विधानसभा में हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक पारित कर दिया. विधेयक में कहा गया है कि सरकार उन मंदिरों की आय का 10 प्रतिशत एकत्र करेगी जिनका राजस्व 1 करोड़ रुपये से अधिक है.
भाजपा ने इस विधेयक को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राज्य सरकार हिंदू विरोधी नीतियों में शामिल है और धन का दुरुपयोग होना तय है.
भाजपा का आरोप
भाजपा की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि कांग्रेस सरकार इस विधेयक के माध्यम से अपना खाली खजाना भरने की कोशिश कर रही है. भाजपा नेता ने आगे पूछा कि राज्य सरकार केवल हिंदू मंदिरों से राजस्व क्यों एकत्र कर रही है, अन्य धार्मिक संरचनाओं से क्यों नहीं.
उन्होंने एक्स पर लिखा कि लाखों भक्तों के मन में यह सवाल है कि केवल हिंदू मंदिरों पर ही नज़र क्यों रखी जा रही है, अन्य धार्मिक स्थलों की आय पर नहीं? कर्नाटक के परिवहन मंत्री और कांग्रेस नेता रामलिंगा रेड्डी ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, सरकार पैसा नहीं ले रही है, इसका इस्तेमाल ‘धार्मिक परिषद’ उद्देश्यों के लिए किया जाएगा. उन्होंने कहा यहां तक कि बीजेपी ने भी अपने समय में ऐसा किया था, उन्होंने 5 लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच आय वाले मंदिरों से 5 प्रतिशत लिया. 25 लाख रुपये से अधिक आय के लिए, उन्होंने 10 प्रतिशत लिया. इसके आगे मंत्री ने कहा कि ‘धार्मिक परिषद’ के उद्देश्यों में आर्थिक रूप से कमजोर पुजारियों का उत्थान, सी ग्रेड मंदिरों का उत्थान और पुजारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना शामिल है.