शीतला सप्तमी का पर्व हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है ये तिथि इस बार 14 मार्च को पड़ रही है। वहीं शीतला अष्टमी या बसोड़ा अष्टमी का पर्व ठीक इसके अलगे दिन यानी 15 मार्च को मनाया जाएगा।
शुभ मुहर्त।
पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल ये व्रत 14 मार्च दिन मंगलवार को पड़ रहा है। शीतला सप्तमी तिथि की शुरुआत 13 मार्च 2023 की रात 09:27 बजे से होगी और इसकी समाप्ति 14 मार्च 2023 की रात 08:22 बजे पर होगी। शीतला माता के पूजन का शुभ मुहूर्त 14 मार्च 2023 की सुबह 06:33 से शाम 06:29 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त की कुल अवधि 11 घंटे 56 मिनट की है।
इस दिन बासी खाते है।
शीतला अष्टमी का पर्व होली के एक हफ्ते बाद यानी आठवें दिन मनाया जाता है. इस पर्व की विशेषता यह है कि इस दिन माता को बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है. यानी मां को भोग लगाने के लिए पकवानों को सप्तमी तिथि को ही तैयार कर लिया जाता है. घर पर भी इस दिन सभी लोग बासी भोजन ही करते हैं. शीतला अष्टमी पर ताजा या गर्म भोजन करना वर्जित माना जाता है. इन नियमों का पालन करने से माता शीतला का आशीर्वाद प्राप्त होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है. जानते हैं शीतला अष्टमी की तिथि, मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और उपाय.
पूजा विधि।
शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद पूजाघर में दीपक जलाएं. हाथ में फूल, अक्षत, जल और दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प लें. माता शीतला की पूजा के लिए एक चौकी तैयार करे और इसमें माता की प्रतिमा स्थापित करें. माता को रोली, लाल फूल, अक्षत, अर्पित कर धूप-दीप प्रज्जवलित करें. सप्तमी तिथि में तैयार किए दही, रबड़ी, चावल से बने पकवानों का भोग माता शीतला को लगाए. पूजा में शीतला स्त्रोत का पाठ जरूर पढ़ें और फिर आखिर में आरती करें.
धार्मिक मान्यातओं अनुसार शीतला सप्तमी व्रत को रखने से संतानों की सेहत हमेशा अच्छी बनी रहती है। कहते हैं इस व्रत के प्रभाव से किसी भी तरह का कोई बुखार, आंखों से जुड़ी समस्या, चेचक या चिकन पॉक्स जैसे रोग नहीं होते हैं। इस व्रत को करने से आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है।