आखिर पेगासस क्या है जिसका हाल ही में राहुल गांधी ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में जिक्र किया। दअरसल पेगासस जासूसी करने वाला एक सॉफ्टवेयर है। पेरिस के एक मीडिया संगठन फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दुनिया के 16 मीडिया संस्थानों के साथ मिलकर रिपोर्ट तैयार की गई और इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए दावा किया गया, कि पेगासस की मदद से दुनिया भर में 50 हजार से ज्यादा नंबरों को हैक किया गया है |
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल पहले भारत सरकार द्वारा इस्राइल के साथ दो अरब डॉलर का रक्षा सौदा किया गया था। इसके साथ ही पेगासस स्पाईवेयर की खरीद भी की थी। इस रक्षा डील में भारत ने कुछ हथियारों के साथ एक मिसाइल सिस्टम भी खरीदा था। भारत में इस स्पाईवेयर के जरिए विपक्षी दल के कई नेताओं, पत्रकारों व एक्टिविस्ट की जासूसी करने की बात सामने आई थी।
कैसे काम करता हैै पेगासस ?
पेगासस स्पाईवेयर बहुत आसानी से व्हाट्सएप की एक मिस्ड कॉल के जरिए फोन में इंस्टॉल कर दिया जाता है। वहीं आईफोन में ये आईमैसेज के जरिए इंस्टॉल हो जाता है। इतना ही नहीं ये स्पाईवेयर इतना खतरनाक है कि ये जीरो क्लिक मैथड के जरिए इंस्टॉल हो जाता है। मतलब बिना किसी लिंक पर क्लिक किए ये डिवाइस में आ जाता है। मैसेज को डिलीट कर देने पर भी इससे बचा नहीं जा सकता।इस स्पाईवेयर से आपके फोन में मौजूद सारी जानकारी किसी तीसरे व्यक्ति के पास चली जाती है।
कैसे आया दुनिया की नज़र में ?
अगस्त 2016 में अरब में मानवाधिकार की लड़ाई लड़ने वाले अहमद मंसूर को एक टेक्स्ट मैसेज आया उन्हें एक सीक्रेट मैसेज मिला, जिसमें UAE के जेल में बंद कैदियों पर अत्याचार के बारे में बताया गया था. मंसूर ने इस लिंक को यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो की सिटीजन लैब को भेजा, जिन्होंने जांच में पाया कि टेक्स्ट मैसेज के साथ आए लिंक में एक स्पाईवेयर छिपा हुआ है. किसी फोन में मायवेयर इम्प्लांट करने के इस तरीके को सोशल इंजीनियरिंग कहते हैं।
राहुल गांधी ने भारत सरकार पर लगाए जासूसी के आरोप।
राहुल गांधी ने कैम्ब्रिज में बिजनेस स्कूल के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत में मीडिया और न्यायपालिका नियंत्रण में है। मेरे फोन में पेगासस सॉफ्टवेयर था, जिसके जरिए मेरी जासूसी होती थी। खुफिया अधिकारियों ने मुझे बताया कि आपका फोन रिकॉर्ड हो रहा है। विपक्ष के कई नेताओं पर झूठे केस किए गए। मेरे ऊपर कई आपराधिक मामले दर्ज कराए गए हैं। ऐसे मामलों में केस दर्ज हुए, जो बनता ही नहीं था। जिनका कोई मतलब भी नहीं बनता था। हम अपना बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं।’